मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ
संभल हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यूपी सरकार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि संभल दंगा जानबूझकर कराया गया और पुलिस की गोली से लोगों की मौत हुई। अखिलेश ने इस दंगे को चुनावी धांधली से ध्यान भटकाने की साजिश बताया। यादव ने कहा कि जब पहली बार सर्वे हुआ तो पूरा का पूरा सहयोग किया गया। साबरमती फिल्म देखकर उन्हें लगा कि उन्हें भी कुछ बड़ा करेंगे इसलिए ये सब कराया गया। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा दिया ताकि लोग नमाज न पढ़ सकें। 23 तारीख को रात में कहा गया कि 24 को सुबह फिर से सर्वे होगा, शाही जामा मस्जिद कमेटी के सदस्य ने कहा कि एक बार तो सर्वे हो चुका है। यादव ने कहा कि अगर आप भाजपा की बात मानोगे तो गड्ढे में गिरोगे। हर मुसलमानों के साथ इन्होंने गाली-गलौज किया। चुनाव आयोग ने खानापूर्ति के लिए कार्रवाई की, पहले वे अन्याय करते हैं, अगर आप अन्याय का विरोध करोगे तो ये आपके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। “यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, हमारे सांसद जियाउर्रहमान बर्क संभल में नहीं थे, इसके बावजूद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। क्या किसी ने कभी ऐसा उदाहरण देखा है? एक पुलिस अधिकारी लोगों से राजनेताओं का समर्थन न लेने के लिए कह रहा था, वह किसकी बात कर रहा था? यह किसकी भाषा थी?”
बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि सर्वे के दौरान जो हुआ उसके लिए शासन-प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है।दोनों पक्षों को साथ में लेकर यह कार्य शांतिमय ढंग से किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया। उन्होंने संभल के लोगों से शांति व्यवस्था बनाने रखने की अपील की है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि भाजपा नफरत की राजनीति फैला रही है। संभल की जामा मस्जिद में जानबूझकर सर्वेक्षण के लिए टीम भेजी गई, जिससे लोगों में गुस्सा व नफरत फैले।प्रदेश में आए दिन हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही है। जब प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद ही बटेंगे तो कटेंगे जैसे बयान दे रहे हैं तो फिर प्रदेश में शांति का माहौल कैसे हो सकता है, यह पूरी तरीके से सुनियोजित प्रकरण है। उन्होंने पुलिस के रवैये पर सवाल उठाया और घटना की जांच करा कर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
सरकार की ओर से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा कि उसका न्यायपालिका में विश्वास नहीं है। उन्होंने कहा कि एएसआइ की टीम कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वेक्षण करने गई थी। सपा को न तो निर्वाचन आयोग पर भरोसा है और न ही संवैधानिक संस्थाओं पर। संभल के घटनाक्रम ने साबित कर दिया है कि उसे न्यायपालिका पर भी विश्वास नहीं है।