सामना संवाददाता/विदिशा
सदा नीरा बेतवा को पुनः, प्रवाहमान कैसे बना सकते हैं! इस मुद्दे को लेकर भारतीय रेडक्रास भवन में शहर के एक वर्ग ने चिंता व्यक्त की। ज्ञात हो कि मार्च में कभी भी बेतवा के उद्गम स्थल पर जल धारा निकलना बंद नहीं हुआ था, परन्तु इस बार यह जल धारा बंद हो गई। यह व्यापक चिंतनीय विषय है। इस मुद्दे को लेकर हुई बैठक में साहित्यकार, पत्रकार साथी, डॉक्टर गण, वकील साहबान ,लाइन क्ल्ब के सदस्य गण, व्यापारी बंधु व शहर के समाजसेवी उपस्थित हुए।पुरातत्वविद् गोविंद देवलिया ने अपने विचारों में कहा कि बेतवा जल हमारी रगों में बह रहा है। हम धार्मिक रूप से नदियों को अपनी मां मानते हुए आए हैं। हमारी मां आज विलुप्त अवस्था में है, इसे बचाना हम सबका कर्तव्य है।
साहित्यकार डॉ सुरेश गर्ग ने कहा कि इस मांग को जन मांग बनानीं होगी। बेतवा हम सबको पुकार रही है। हर शहर वासियों को अपनी आगे आने वाली पीढ़ी की चिंता करनी होगी।अब समय आगया है कि रहवासियों को एक होकर आवाज़ उठाना चाहिए।
बैठक में पत्रकार गोविन्द सक्सेना ने बेतवा के जल स्रोतों के लिए जनप्रतिनिधियों के सहयोग का सुझाव दिया। एडवोकेट प्रकाश जोशी ने प्रशासन की जानकारी में लाने का सुझाव दिया। पंडित संजय पुरोहित ने मंदिरों में, अर्चकों, पुजारियों के माध्यम से जनचेतना जगाने का आग्रह किया। राजकुमार सराफ प्रिन्स ने पत्र और सोशल मीडिया के माध्यम से शासन तक अपनी मांग पहुंचाने का सुझाव दिया। भाजपा नेता अरविंद श्रीवास्तव ने जनजागरण एवं जनप्रतिनिधियों को अभियान में जोड़ने हेतु सुझाव दिया।
पत्रकार सचिन ने नगर के विभिन्न संगठनों को साथ लिए जाने का सुझाव दिया। आचार्य शिवकुमार तिवारी ने जन जन तक प्रचार किये जाने एवं सबको साथ लेकर जनांदोलन बनाने पर जोर दिया।
बैठक में प्रो अरविंद द्विवेदी, डॉ नीरज शक्ति निगम, डॉ पी के मिश्र, ओ पी चतुर्वेदी, एडवोकेट द्वय कृष्ण बलदेव भट्ट,अरुण वर्मा , पूर्व पार्षद गण रामपाल सिंह राजपूत धर्मेंद्र लोधी एवम मनमोहन बंसल, प्रवीण शर्मा, सुनील जैन, प्रशांत शर्मा, प्रकाश लोधी,राजेश मिश्रा, हर्ष नेमा, सौरभ जैन आदि ने भी अपनी राय रखी।