-बिना जांच के कैसे लिया गया था निर्णय
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र गृह विभाग ने अचानक ‘महा ट्रैफिक ऐप’ पर ट्रैफिक उल्लंघनों की तस्वीरें अपलोड करने की सुविधा को निष्क्रिय कर दिया। यह पैâसला तब लिया गया, जब कुछ अजीब घटनाओं के कारण इस सुविधा के दुरुपयोग की शिकायतें सामने आर्इं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस पैâसले से पहले मामले की पूरी जांच की गई थी?
कई नागरिकों ने ट्रैफिक उल्लंघन की तस्वीरें ऐप पर अपलोड की थीं, जिनमें से कुछ तस्वीरें सही तरीके से सत्यापित नहीं की गई थीं। इसके बावजूद पुलिस ने बिना जांच के चालान जारी कर दिए। इस बारे में शिकायतें आर्इं कि कुछ पुलिसकर्मियों ने निजी फोन से गलत तरीके से तस्वीरें खींचीं, ताकि वाहन चालकों पर दबाव डाला जा सके। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या बिना जांच के इस पैâसले पर विचार करना सही था। गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहले ही निर्देश दिए गए थे कि केवल आधिकारिक डिवाइस से खींची गई तस्वीरों के आधार पर ही चालन जारी किए जाएं, लेकिन इन निर्देशों का पालन नहीं हुआ और सिस्टम का दुरुपयोग जारी रहा।
गृह विभाग ने मामले का हल निकालने के लिए एक समिति बनाई जो जांच के बाद फैसले पर विचार करती है, लेकिन सवाल यह है कि बिना जांच के ही इस फैले को क्यों लागू किया गया? क्या यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया था? इस फैसले का उदृदेश्य ट्रैफिक उल्लंघनों के मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। हालांकि, पूरी जांच और सर्वेक्षण किए बिना एक तरफा निर्णय लेना कई सवालों को जन्म देता है।