– कीर्ति कॉलेज के पास बन सकता है नया ठिकाना
– दादर की पहचान मिटाने के प्रस्ताव पर ट्रस्टी नाराज
सामना संवाददाता / मुंबई
दादर का ऐतिहासिक कबूतरखाना इसकी पहचान है। ‘परिंदा’ जैसी फिल्म में इस कबूतरखाने के पास अनिल कपूर की एक्टिंग देखी जा सकती है। मगर आनेवाले दिनों में दादर की यह पहचान खो सकती है। इसकी वजह है इस कबूतरखाना को हटाने के लिए स्थानीय लोगों का मनपा पर दबाव। उनका कहना है कि इसकी वजह से क्षेत्र में काफी लोग बीमार हो रहे हैं। अब मनपा इसके लिए वैकल्पिक जगह की तलाश कर रही है। मनपा के अधिकारियों ने इसके लिए कीर्ति कॉलेज के समीप एक जगह देखी है। हालांकि, इस कबूतरखाने को चलाने वाले ट्रस्ट का कहना है कि बीमारी का बहाना है। वहां नियमित तौर पर साफ-सफाई की जाती है और इससे कोई बीमार नहीं होता।
हाल ही में खबर आई थी कि मनपा ने कबूतरों को दाना डालने पर जुर्माने का प्रावधान किया है। इस बारे में स्थानीय नागरिक बताते हैं कि यह मनपा का रूटीन आदेश है। वह हर साल घोषणा करती है कि दाना डालनेवाले पर दंड लगाया जाएगा। कुछ दिन तक क्लीन अप मार्शल कुछ लोगों पर कार्रवाई करते हैं और फिर सबकुछ सामान्य हो जाता है।
कबूतरों से निकलनेवाले
बैक्टिरीया बढ़ाते हैं अस्थमा!
मुंबई में कई जगहों पर कबूतरखाना बने हुए हैं। आम लोग वहां पर कबूतरों को दाना डालते हैं। कई फिल्मों में ये कबूतरखाना नजर भी आ चुके हैं। इन्हीं में से एक है दादर का कबूतरखाना। डॉक्टरों का कहना है कि रहिवासी क्षेत्र में कबूतर के मल-मूत्र से निकलनेवाले कीड़े बीमारियां फैलाते हैं। खासकर अस्थमा जैसे श्वसन रोग काफी फैलाते हैं। ऐसे में अब दादर के कबूतरखाने को हटाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है।
जानकार बताते हैं कि कबूतर के मल और पंखों में मौजूद बैक्टिरीया से सबसे ज्यादा प्रभावित सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोग होते हैं। अस्थमा से पीड़ित लोगों को सबसे अधिक परेशानी होती है। इसके अलावा कबूतरों की वजह से उड़ती धूल, खाने की गंदगी, मल की बदबू के कारण इलाके में प्रदूषण काफी हद तक बढ़ जाता है। दादर के स्थानीय लोगों ने मनपा से इस बारे में काफी शिकायतें की हैं। उनका कहना है कि मनपा इस कबूतरखाने को यहां से हटाकर कहीं अन्यत्र ले जाए। मनपा के अधिकारी इस बारे में विचार-विमर्श कर रहे हैं। इस बारे में वे कबूतरखाने का संचालन करनेवाले ट्रस्ट के अधिकारियों से भी बैठक करके इसका समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि मनपा ने दादर में ही कीर्ति कॉलेज के पास एक जगह देखी है और सबकुछ ठीक रहा तो कुछ दिनों में इस कबूतरखाने को वहां पर शिफ्ट किया जा सकता है।
फैलते हैं घातक रोग
कबूतरों के पंख व मल-मूत्र से निकलनेवाले फुंगी, बैक्टिरीया व वायरस से एचपी व आईएलडी जैसे घातक रोग पनपते हैं। इन रोगों के कारण मरीज की जान भी जा सकती है। इनके संपर्क में आनेवाले लोगों में ४० फीसदी को एचपी रोग होने का खतरा रहता है।
बढ़ती संख्या है सिरदर्द
जानकारों का मानना है कि कबूतरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। इस कारण इनसे होनेवाली बीमारियों की संख्या भी बढ़ी है। रहिवासी इलाकों में इनका रहना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है।