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भिवंडी के वेटलैंड्स पर कचरे का अंबार …वेटलैंड को साफ करो

एनजीटी का आदेश
सामना संवाददाता / मुंबई
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ठाणे कलेक्टर को भिवंडी के अंजुर डाइव गांव के चार वेटलैंड्स (दलदल भूमि) की सफाई करने का आदेश दिया है, जो पिछले एक साल से कचरा फेंकने का स्थान बन गए थे। यह आदेश १८ दिसंबर २०२३ को दिया गया था। जब पर्यावरण एनजीओ ‘वनशक्ति’ ने इस पर याचिका दायर की थी। पर सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन अपने कर्तव्यों को समझकर इस आदेश को सफलतापूर्वक लागू करेगा?
एनजीटीr के आदेश में कहा गया है कि जो लोग इन जमीनों के मालिक हैं, उन्हें इन वेटलैंड्स को साफ करना होगा। साथ ही वहां छोड़े गए कचरे को हटाना होगा। इस आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि जमीन के मालिक खुद इसे नहीं साफ करते हैं तो प्रशासन को इस पर कदम उठाना होगा। भिवंडी का यह मामला केवल एक कार्रवाई नहीं है, बल्कि एक बड़ा सवाल है जो पूरे शहर में अवैध गोदामों के निर्माण और जमीन पर कचरा फेंकने की प्रथा को उजागर करता है। क्या सच में जमीन के मालिक अपने किए गए काम की जिम्मेदारी लेंगे या यह भी एक और अधूरा प्रशासनिक फैसला होगा?
वनशक्ति के निदेशक स्टालिन दयानंद ने कहा कि इन वेटलैंड्स का, जहां अवैध लैंडफिल्स (कचरा डंप स्थल) बनाए गए थे, उपग्रह चित्रों के माध्यम से विश्लेषण किया गया और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को इसके बारे में २०२०, २०२२ और २०२३ में चार बार सूचित किया गया था, लेकिन कोई भी प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। चार में से दो वेटलैंड्स निजी जमीनों पर हैं। एक ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में है। जब तक प्रशासन किसी मालिक पर जुर्माना या कानूनी कार्रवाई नहीं करता, तब तक वेटलैंड्स का सुधार केवल एक सपना ही बना रहेगा। दो साइट के मालिकों ने कमेटी को यह बताया कि उन्हें नहीं पता था कि कचरा कहां से आया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को इस कचरे से बीमारी होती है तो इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं। क्या यह सच है या यह अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश है? स्टालिन दयानंद ने कहा कि भिवंडी में और भी कई जगहों पर अवैध गोदाम बनाने के लिए कचरा डाला गया है, इन मामलों के फैसले भी २०२५ के जनवरी महीने के अंत तक आने की संभावना है।

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