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सड़क सुरक्षा मानकों से खिलवाड़ … डीलर करेंगे कमर्शियल वाहनों का पंजीकरण! …आरटीओ अधिकारियों की उड़ी नींद

 

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में अब ऑटोमोबाइल डीलर टूरिस्ट टैक्सी, ऑटोरिक्शा, पिकअप और टेंपो जैसे हल्के वाणिज्यिक वाहनों का पंजीकरण करेंगे, जिसके लिए उन्हें क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) जाने की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, यह फैसला ट्रांसपोर्टरों के लिए राहतभरा साबित हो सकता है, लेकिन भ्रष्टाचार के केंद्र माने जाने वाले परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इसे लेकर गंभीर आपत्तियां जताई हैं।
राज्य सरकार द्वारा हाल में जारी सर्कुलर के अनुसार, ७,५०० किलोग्राम से कम वजन वाले ‘पूरी तरह निर्मित’ वाणिज्यिक वाहनों के पंजीकरण की प्रक्रिया अब डीलरों द्वारा की जाएगी। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय यात्री और सड़क सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकता है। परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि वाणिज्यिक वाहनों के पंजीकरण के दौरान आरटीओ निरीक्षक वाहन की सुरक्षा-सुविधाओं की जांच करते हैं, जो अब डीलरों के जिम्मे होगा। एक वरिष्ठ आरटीओ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘वाणिज्यिक वाहनों में फिटनेस प्रमाण पत्र अनिवार्य है और इसे आरटीओ कार्यालय में पंजीकरण के समय जांचा जाना चाहिए। डीलर इस जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाएंगे या नहीं, इस पर संदेह है।’ मौजूदा नियमों के अनुसार, वाणिज्यिक वाहनों में पैनिक बटन, स्पीड गवर्नर, फास्टैग और जीपीएस जैसी सुविधाएं अनिवार्य हैं, जिनकी जांच आरटीओ निरीक्षक करते हैं। डीलरों द्वारा इन उपकरणों की उचित जांच नहीं की जा सकेगी, जिससे सड़क पर असुरक्षित वाहनों की संख्या बढ़ सकती है।
एक मोटर वाहन निरीक्षक ने उच्च सुरक्षा नंबर प्लेट (एचएसआरपी) का उदाहरण देते हुए कहा कि अप्रैल २०१९ से सभी नए वाहनों के लिए इसे अनिवार्य किया गया है, लेकिन कई नए वाहन अभी भी बिना एचएसआरपी के सड़कों पर देखे जा सकते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि डीलरों द्वारा नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है। अधिकारियों ने यह भी सवाल उठाया कि अगर डीलर पंजीकरण का सारा काम करेंगे तो पंजीकरण प्रमाणपत्रों पर आरटीओ के हस्ताक्षर की आवश्यकता क्यों है? एक डिप्टी आरटीओ अधिकारी ने कहा कि अगर डीलर सब कुछ कर रहे हैं, तो उन्हें ही पंजीकरण प्राधिकरण बना देना चाहिए।

 

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