-एससीबीए करें मुख्य न्यायाधीश का विरोध
-वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने उठाई मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
देश में न्यायपालिका को सर्वोपरि माना गया है। प्रशासन और सरकार से न्याय नहीं मिलने के बाद आखिरी आस सर्वोच्च न्यायालय से होती है। लेकिन यदि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ही सरकार के मुखिया के साथ समझौता कर लें तो क्या होगा, इसका अंदाजा लगाना भी आसान नहीं है। इन दिनों ऐसा ही कुछ देश में हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ के आवास पर गणपति बाप्पा विराजमान हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को उनके निवास पर जाकर बाप्पा के दर्शन किए। यहां सत्ता पक्ष के मुखिया और मुख्य न्यायाधीश के बीच तालमेल को देश की जनता के लिए बुरा माना जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश की इस मामले पर जमकर आलोचना हो रही है। देश की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने आलोचना करते हुए कहा कि सीजेआई का ऐसा करने का मतलब न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता करना है।
`देश के मुख्य न्यायाधीश ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच अलग-अलग शक्तियों पर समझौता कर लिया है। क्या मुख्य न्यायाधीश की स्वतंत्रता पर से विश्वास उठ गया? ऐसा सवाल उठाते हुए वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एससीबीए) को मुख्य न्यायाधीश द्वारा किए गए समझौते की निंदा करनी चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कपिल सिब्बल से इस बारे में उचित कदम उठाने की मांग की है। कपिल सिब्बल ने उनके बयान को लेकर गंभीरता दर्शाई है। सिब्बल ने कहा कि इंदिरा से उनके मुख्य न्यायाधीश की निंदा करने वाले बयान को आम करने का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने उनसे `एक्स’ को टैग करने और मुख्य न्यायाधीश की निंदा करने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि इंदिरा जयसिंह सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं और खासकर बड़े मामलों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहती हैं। १९८६ में इंदिरा जयसिंह बॉम्बे हाई कोर्ट की पहली वरिष्ठ वकील बनीं। मुंबई के एक सिंधी परिवार में जन्मी इंदिरा ने १९६२ में बंगलुरु यूनिवर्सिटी से बीए और फिर मुंबई यूनिवर्सिटी से एलएमएल की डिग्री हासिल की।