मुख्यपृष्ठनए समाचारपीएम धमकाते हैं! ... पूर्व न्यायाधीशों का पत्र इसी बात का संकेत

पीएम धमकाते हैं! … पूर्व न्यायाधीशों का पत्र इसी बात का संकेत

कांग्रेस का कानूनी आकलन
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
पीएम धमकाते हैं। यह कानूनी आकलन कांग्रेस का है। कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि २१ पूर्व न्यायाधीशों द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखा गया पत्र न्यायपालिका को ‘डराने-धमकाने’ के प्रधानमंत्री के सुनियोजित अभियान का हिस्सा है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि न्यायिक स्वतंत्रता को ‘सबसे बड़ा खतरा’ भाजपा से है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एमआर शाह के स्पष्ट संदर्भ में कहा, ‘कृपया उस सूची में चौथा नाम देखें और यह पत्र के पूरे उद्देश्य, पृष्ठभूमि और लेखन के बारे में बता देगा।’ रमेश ने आरोप लगाया, ‘यह पत्र न्यायपालिका को धमकाने और डराने के लिए प्रधानमंत्री के सुनियोजित अभियान का एक हिस्सा है। न्यायपालिका ने देश के सबसे बड़े भ्रष्टाचार घोटाले, चुनावी बॉन्ड घोटाले को उजागर किया है, जिसने कहा है कि मणिपुर में संवैधानिक मशीनरी खराब हो गई है, यही टारगेट है।’ कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट निशाने पर है, जहां की एक बेहद प्रतिष्ठित महिला जज ने हाल ही में नोटबंदी की काफी आलोचना की थी। उनका इशारा जस्टिस बीवी नागरत्ना की तरफ था, जिन्होंने बीते ३० मार्च को कहा था कि नोटबंदी काले धन को सफेद करने का एक अच्छा तरीका था। रमेश ने आरोप लगाया, यह सब एक स्वतंत्र न्यायपालिका को धमकाने और डराने का प्रयास है। ‘उन्होंने कहा, ‘न्यायिक स्वतंत्रता को सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस पार्टी से नहीं, बल्कि भाजपा से है, यह मोदी जी, शाह जी से है।

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