न्याय नहीं मिला तो खटखटाएंगे हाई कोर्ट का दरवाजा -रूपेश
अशोक तिवारी / नई मुंबई
नई मुंबई के रहने वाले एक और दलित समाज के लॉ स्टूडेंट रूपेश रविढोने को करीब २२ महीने पूर्व फर्जी मामले में फंसाने की धमकी देकर लूटने वाले कोपरखैराणे के पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं करने से नाराज राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने नई मुंबई के पुलिस कमिश्नर को १२ दिसंबर २०२४ को नोटिस जारी कर ३० दिनों में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। आश्चर्य की बात यह है कि डेढ़ महीने बीतने के बावजूद भी पुलिसकर्मियों द्वारा कार्रवाई की कोई भी रिपोर्ट आयोग को नहीं दी गई। इस बात से खफा होकर आयोग ने २८ जनवरी २०२५ को नई मुंबई के पुलिस आयुक्त को दोबारा नोटिस जारी कर मामले की कार्रवाई की रिपोर्ट ३० दिन में पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले को ‘दोपहर का सामना’ ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद नई मुंबई पुलिस आयुक्त कार्यालय हरकत में आया और जांच करने का आदेश दिया।
नई मुंबई के कोपरखैराणे पुलिस ने शिकायतकर्ता रूपेश रविढोने को १० फरवरी को ईमेल भेजकर ११ फरवरी को सुबह बयान दर्ज कराने के लिए हाजिर होने का आदेश दिया। शिकायतकर्ता और लॉ स्टूडेंट रूपेश रविढोने ने मुख्यमंत्री तथा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को मेल भेजकर शिकायत की है कि जिस थाने के पुलिसकर्मियों के खिलाफ उन्होंने शिकायत की है, पुलिस आयुक्त द्वारा उसी पुलिस स्टेशन को जांच का जिम्मा सौंपना आश्चर्यजनक है। रूपेश ने आशंका प्रकट की है कि जब मामले की जांच २२ महीने तक नहीं की गई और आयोग की दो बार फटकार के बाद अब पुलिस हरकत में आई है तो पुलिस आयुक्त को जांच का यह जिम्मा पुलिस के किसी वरिष्ठ अधिकारी को देना चाहिए था। रूपेश रविढोने ने मुख्यमंत्री और गृहमंत्री समेत पुलिस आयुक्त से मांग की है कि इस मामले की जांच आईपीएस लेवल के अधिकारी से करवाई जाए, क्योंकि स्थानीय पुलिस स्टेशन द्वारा निष्पक्ष जांच किए जाने की संभावना बहुत ही कम है। रूपेश ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पर गौर नहीं किया गया तो वह मुंबई उच्च न्यायालय में मेरिट याचिका दाखिल कर न्याय की मांग करेंगे।
बता दें कि रूपेश को २६ मार्च २०२३ को पुलिस उनकी कार समेत रात को कोपरखैराणे थाने ले गई। रूपेश का आरोप है कि यहां उन्हें जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया गया और फर्जी मामले में फंसाने की धमकी देकर २५,००० रुपए की मांग की गई। रूपेश ने एटीएम से साढ़े ७ हजार रुपए निकालकर दिए थे। रूपेश ने ईमेल और ट्विटर से तुरंत इस घटना की जानकारी पुलिस आयुक्त को दी।