-एक महीने में ४ ने मौत को गले लगाया
-मैट भी लगा चुका है फटकार
नागमणि पांडेय / मुंबई
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राज्यभर में पुलिस अधिकारियों के तबादले का दौर शुरू है। ऐसे में कई शहरों में तबादले से पुलिस अधिकारियों के साथ अन्याय होने के भी आरोप लग रहे हैं। हद की बात तो ये है कि पुलिस जवान से लेकर अधिकारी तक आत्महत्या भी कर रहे हैं। हाल ही में सांताक्रुज-पूर्व के कालीना पुलिस कैंप में एक अधिकारी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके साथ ही पिछले एक महीने में राज्यभर में चार पुलिस अधिकारियों के आत्महत्या की घटना से जवानों के दबाव में काम किए जाने की चर्चा जोर पकड़ रही है।
सांताक्रुज में आत्महत्या करने वाले अधिकारी की मौत की वजह भी तबादला ही बताई जा रही है। बता दें कि पिछले पांच वर्षों मे ४०० से अधिक पुलिसकर्मियों की मौतें हुईं हैं। लोकसभाव चुनाव से पहले किए जा रहे ट्रांसफर को लेकर पुणे के सैकड़ों पुलिस अधिकारी और जवान मैट में इसकी शिकायत करते हुए तबादले में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाए थे। इसके बाद कोर्ट ने भी फटकार लगाते हुए सुधार करने का आदेश दिया था।
मैट के सवाल पर चुनाव आयोग ने लगाई फटकार
पुणे मे कुछ अधिकारियों का जिले से बाहर तबादला कर दिया गया था। इसके बाद पुणे के कुछ अधिकारी मैट में गए थे। जब मैट ने इसको लेकर चुनाव आयोग से पूछा तो चुनाव आयोग ने जांच में पाया कि ट्रांसफर निर्देशानुसार नहीं किए गए थे। इसके बाद आयोग के फटकार के बाद बुधवार को ट्रांसफर में सुधार किया गया है।
पुलिसकर्मियों की मौत का कारण व संख्या
मौत का कारण संख्या
हार्ट अटैक १६८
आत्महत्या ३१
कोरोना १२३
किडनी-लीवर ७७
मधुमेह ,बीपी ४६
कैंसर ५५
दुर्घटना ४५
अन्य बीमारी २७६
पुलिस कार्यप्रणाली पर खड़े हो रहे हैं सवाल
पिछले महीने नागपाड़ा में पुलिस जवान वैâलाश गवली ने इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। २० फरवरी को नासिक के अंबड पुलिस स्टेशन में पुलिस उपनिरीक्षक अशोक नाजन ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इन दोनों की आत्महत्या का कारण भी ट्रांसफर बताया गया। इसी तरह ठाणे के मुंब्रा में भी जवान स्वप्निल बुधवंत ने जहरीला पदार्थ खाकर सुसाइड कर लिया था। वो पिछले एक महीने से छुट्टी पर था। इससे पहले तुलिंज पुलिस में कार्यरत जवान सखाराम भोईर ने भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। वह पिछले काफी समय से मानसिक रूप से परेशान था। ट्रांसफर होने से परेशान होने या मानसिक रूप से बीमार होने की समस्या सिर्फ यही नहीं, बल्कि इन जैसे सैकड़ों पुलिसकर्मियों की है, जो पहले से किसी नई किसी बीमारी से परेशान तो हैं साथ ही अब ट्रांसफर की समस्या से तनाव में हैं। इसके कारण असामयिक मौत का शिकार हुए हैं। इससे पुलिस कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।