मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनादुर्दशा के शिकार हैं पुलिस वाहन

दुर्दशा के शिकार हैं पुलिस वाहन

अनिल मिश्रा / बदलापुर

शिंदे सरकार के मंत्री भले ही कुर्सी बचाने की खातिर जनता के पैसे को दानी बनकर बांट रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पुलिस को सही ढंग से वाहन तक नहीं दे पा रहे हैं। मानसून में पुलिस को अपने कार्यालयों और वाहनों पर प्लास्टिक बांधकर अपना काम चलाना पड़ रहा है। पुलिस वाहनों की तरह महाराष्ट्र राज्य परिवहन की भी हालत है। कंगाल सरकार केवल अपनी कुर्सी बचाने की जुगाड़ में लगी हुई है। शिंदे सरकार को महाराष्ट्र की जनता, अधिकारी की इज्जत, मान, स्वाभिमान और सुरक्षा की चिंता नहीं है। घटिया वाहनों की दशा देखकर आशंका व्यक्त की जा रही है कि ऐसे वाहन कब और कहां बंद हो जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता।
बदलापुर में मासूम बालिका के यौन शोषण को लेकर आक्रोशित लोगों के आंदोलन में एक पुलिस वाहन को देखा गया, जिसकी हालत सरकार की तरह जर्जर दिखाई दे रही थी। इसी प्रकार कुछ दिन पूर्व उल्हासनगर के पुलिस उपायुक्त कार्यालय विभाग-४ के बारे में खबर प्रकाशित की गई थी। पुलिस उपायुक्त कार्यालय की छत पर भी पुलिस के वाहन की तरह तालपत्री बांधी गई है। इसी प्रकार लालपरी के नाम से पहचानी जानेवाली एसटी बसों का भी यही हाल है। एसटी बसों के खिड़की और दरवाजे टूटे हुए हैं। कई बार खिड़कियां बंद तक नहीं होतीं और बसों की छत से पानी टपकता हुआ देखा जाता है। सरकार के इस रवैए से सभी परेशान हैं।

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