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‘राज’नीति : मुद्दा बनेगा भील प्रदेश

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू

राजस्थान में खींवसर, चौरासी, झुंझुनू, देवली-उनियारा, दौसा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। ऐसे में यहां भील प्रदेश का मुद्दा गरमा रहा है। गत दिनों भील प्रदेश की मांग को लेकर बांसवाड़ा के मानगढ़ में महासम्मेलन हुआ, जिसमें ४ राज्यों से ४९ जिलों को अलग करके एक अलग भील प्रदेश बनाने की मांग उठी। लोकसभा चुनावों में इस बार भारतीय ट्राइबल पार्टी से अलग होकर बनी भारत आदिवासी पार्टी (बाप) ने शानदार प्रदर्शन किया और राजकुमार रोत सांसद बने। चुनावों में पार्टी की परफॉर्मेंस से उत्साहित रोत भील प्रदेश की मांग के साथ ही उपचुनाव में भी जीत को सुनिश्चित करना चाहते हैं। राजस्थान में बाप के तीन विधायक और एक सांसद हैं। ऐसे में यह उपचुनाव बाप जीता हुआ मानकर आस-पास के आदिवासी इलाकों में अपनी पहुंच को और बढ़ाना चाहती है। सांसद राजकुमार रोत ने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर लिखा कि बहुत जल्द मध्य प्रदेश में भी कमल-कांग्रेस का रगड़ा निकालेंगे। विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के पास खोने को कुछ नहीं है। किसी भी सीट पर बीजेपी टक्कर देती नहीं दिख रही है। जिन सीटों पर उपचुनाव हैं। उनमें से तीन सीटें कांग्रेस, एक आरएलपी और एक बाप के पास थी।

चर्चा में ‘ठाकुर का कुआं’
विधानसभा में `ठाकुर का कुआं’ कविता पर सियासी वार-पलटवार का दौरा जारी है। यह कविता कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने सदन में बोलते हुए कहा था कि इस बजट में हमारा क्या है, हमारा कुछ नहीं है, सब कुछ ठाकुर का है। जिसको लेकर राजपूत समाज और करणी सेना से लेकर कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास और मानवेंद्र सिंह तक हरीश चौधरी की निंदा करते हुए हरीश चौधरी से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं। ओमप्रकाश वाल्मीकि की यह कविता दलित किसानों के शोषण के बारे में बताती है, जिसमें समाज के शोषित वर्ग के बारे में बताया जाता था। कुल मिलाकर यह कविता जातिगत सोच को दर्शाती है। हालांकि, हरीश चौधरी के कविता वाले बयान को विधानसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया था। इस मसले पर हरीश चौधरी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जो लोग मुद्दे भटकाकर विवाद करना चाहते हैं, उनसे मेरा निवेदन है कि इस कविता को जरूर पढ़ें। इसके शब्दों पर गौर करें। आखिर यह कविता कवि ओमप्रकाश जी ने लिखी क्यों थी? यह कविता कभी भी उन लोगों को अच्छी नहीं लगेगी, जिन्हें इस कविता के शब्दों में अपनी खुद की सोच नजर आएगी।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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