मुख्यपृष्ठराजनीति`राज’नीति : पावर सेंटर बने बिरला

`राज’नीति : पावर सेंटर बने बिरला

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू

लोकसभा के लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बने ओम बिरला राजस्थान में भाजपा के नए पावर सेंटर के रूप में उभरे हैं। राजस्थान भाजपा में किसी समय वसुंधरा राजे बड़ा पावर सेंटर होती थीं, मगर अब वह राजनीति के हासिये पर हैं। मुख्यमंत्री बनने के कारण भजनलाल शर्मा के इर्द-गिर्द प्रदेश की राजनीति घूमने लगी है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सीपी जोशी भी पार्टी में कुछ भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन उनके स्थान पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति जल्दी ही होने जा रही है। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एकमात्र पावर सेंटर बने हुए हैं। ओम बिरला के लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने से उनका राजनीति में कद बढ़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह से नजदीकी के चलते ओम बिरला की राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका बन गई है। प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा लिए जाने वाले सभी बड़े पैâसलों में अब ओम बिरला की सहमति लेना भी जरूरी हो गया है। वैसे भी राजनीति में ओम बिरला मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से बहुत अधिक वरिष्ठ हैं। वह लगातार तीन बार विधायक व तीन बार सांसद चुने जा चुके हैं।

वसुंधरा की पीड़ा
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इन दिनों राजस्थान की राजनीति में अलग-थलग पड़ गई हैं। उनके बेटे दुष्यंत सिंह जो पांचवी बार झालावाड़ से सांसद बने हैं, उनको केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। कहने को तो वो पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, मगर पद के अनुरूप उनके पास कोई जिम्मेवारी नहीं है। ऐसे में अपनी उपेक्षा को लेकर अक्सर वो अपनी पीड़ा जाहिर कर देती हैं। हाल ही में उदयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मंच से संबोधन के दौरान उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि सुंदर सिंह भंडारी ने राजस्थान में भैरोंसिंह शेखावत सहित कितने ही नेताओं को आगे बढ़ाया था, पर वफा का वो दौर अलग था, तब लोग किसी के किए हुए को मानते थे। आज तो लोग उस उंगली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पड़कर वह चलना सीखते हैं। वसुंधरा राजे के इस बयान के बाद राजस्थान के सियासी गलियारों में चर्चाओं के दौर शुरू हो गया है। वसुंधरा का इशारा उन लोगों की तरफ था, जिनको उन्होंने राजनीति में बड़े-बड़े पदों पर बैठाकर आगे बढ़ाया था। वही लोग आज पाला बदलकर उनका साथ छोड़ गए हैं।

विवादों में फंसे दिलावर
राजस्थान में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अपने बयानों के लिए आए दिन चर्चा का विषय बने रहते हैं। दिलावर ने अबकी बार आदिवासियों के हिंदू होने पर सवाल किया है। दिलावर के बयान को लेकर भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) के सांसद राजकुमार रोत और उनकी पार्टी सड़क पर उतर चुकी है। बात अब डीएनए जांच तक पहुंच चुकी है। राजकुमार रोत ने अपने समर्थकों से बाल और नाखून के सैंपल डीएनए जांच के लिए मुख्यमंत्री को भेजने की अपील कर डाली है। तीसरी बार राजस्थान सरकार में मंत्री बने मदन दिलावर संघ के करीबी और पार्टी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं। कभी वसुंधरा के करीबी माने जाते थे। बारां में जन्मे दिलावर पहले अमदाबाद से साड़ियां लाकर कोटा में बेचते थे। मदन दिलावर राम जन्मभूमि आंदोलन का भी हिस्सा बने थे। वो लगातार तीन बार बारां अटरू विधानसभा सीट पर जीत को बरकरार रखने में कामयाब रहे हैं। पार्टी का एक धड़ा दिलावर के बयानों से पार्टी की छवि को हो रहे नुकसान से नाराज है। कोटा में शिक्षक का निलंबन, योग को पोंगापंती, अकबर को बलात्कारी बताने वाले दिलावर अपने हिंदुत्व वाली कट्टर छवि के लिए जाने जाते हैं।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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