रमेश सर्राफ धमोरा झुंझुनू
कोटा से तीसरी बार सांसद व लोकसभा अध्यक्ष रहे ओम बिरला इस बार अपने पुराने साथी प्रहलाद गुंजल के सामने बहुत कम मतों के अंतर से चुनाव जीत पाए हैं। बिरला पिछले दो चुनाव कई लाख वोटों से जीते थे। इस बार उनकी जीत का अंतर घटकर ४१,९७४ रह गया है। उनके सामने भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए प्रहलाद गुंजल को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया था। गुंजल ने बिड़ला को कड़ी टक्कर दी थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल में ओम बिरला को शामिल नहीं किए जाने पर उनको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। लोगों का मानना है कि उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है, वहीं उनके एक बार फिर से लोकसभा अध्यक्ष बनने की चर्चा भी चल रही है। बिरला लोकसभा अध्यक्ष के रूप में खुलकर मोदी सरकार के पक्ष में सदन चलाते थे। उन्होंने विपक्ष के अधिकांश सांसदों को निलंबित तक कर दिया था। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बिरला को ही लोकसभा अध्यक्ष बना सकते हैं, क्योंकि अब पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं होने से लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
पायलट का जलवा
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट इन दिनों लगातार मजबूत हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भी उनके कई समर्थक जीतकर सांसद बने हैं। खुद राष्ट्रीय महामंत्री व छत्तीसगढ़ के प्रभारी होने के उपरांत भी लोकसभा चुनाव में राजस्थान में जमकर प्रचार किया था। हाल ही में सचिन पायलट के पिता व पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि मनाई गई थी। इसमें कांग्रेस के आठ नव निर्वाचित सांसद व करीबन तीन दर्जन विधायक श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, कांग्रेस के वर्तमान व पूर्व पदाधिकारी तथा कार्यकर्ताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। सचिन पायलट पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के चुनाव प्रचार में जालौर नहीं गए थे, जिसको लेकर पिछले दिनों अशोक गहलोत ने उन पर निशाना साधा था। जालौर में अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भाजपा के लुंबाराम के सामने २ लाख से अधिक मतों से पराजित हो गए थे। गहलोत के बयान के बाद श्रद्धांजलि सभा के बहाने पायलट ने शक्ति प्रदर्शन कर प्रदेश की राजनीति में अपने बढ़ते प्रभाव का एहसास करवा दिया है।
कमजोर हुए शेखावत
जोधपुर के सांसद व केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार केंद्र में तीसरी बार मंत्री बने हैं। हालांकि, इस बार उनको पर्यटन विभाग जैसा हल्का महकमा देकर कमजोर कर दिया गया है। पिछली सरकार में वो जल शक्ति जैसे महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली, दूसरी व अब तीसरी सरकार में शेखावत लगातार मंत्री बने हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर से लगातार तीसरी बार चुनाव तो जीत गए, मगर इस बार उनका जीत का अंतर कम हो गया। भाजपा के ही विधायक बाबू सिंह राठौड़ खुलकर उनकी खिलाफत करते हैं। कई बार तो सार्वजनिक मंचों पर भी इनकी तकरार सामने आई थी। गजेंद्र सिंह शेखावत के पड़ोस की बाड़मेर, नागौर, अजमेर, झुंझुनू, सीकर, चूरू जैसी भाजपा की मजबूत सीटों पर भी भाजपा प्रत्याशियों को पराजित होना पड़ा है। राजस्थान में राजपूतों ने भी इस बार भाजपा के पक्ष में खुलकर मतदान नहीं किया। केंद्र में कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद गजेंद्र सिंह शेखावत अपने समाज को भाजपा के पक्ष में करने में नाकामयाब रहे थे। इसी के चलते उनको कम महत्व के विभाग का मंत्री बनाया गया है।