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‘राज’नीति : उपचुनाव की चर्चा

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू

राजस्थान से पांच विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं। सांसद बनने के कारण उन्होंने विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया है। इनमें से भाजपा का एक भी विधायक नहीं है। विधायक पद से इस्तीफा देने वालों में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने खींवसर से, भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत ने चौरासी से, कांग्रेस के मुरारीलाल मीणा ने दौसा से, हरिशचंद्र मीणा ने देवली-उनियारा से, बृजेंद्र ओला ने झुंझुनू सीट से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। अब अगले ६ महीने के अंदर सभी पांच सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा चाहेगी कि सभी पांच सीट जीतकर विपक्ष को झटका दिया जाए। उपचुनाव में भाजपा टिकट चाहने वालों की लंबी कतार लगी हुई है। ऐसे भाजपा नेता भी टिकट मांग रहे हैं, जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की कार सेवा की थी। भाजपा में ऐसे नेताओं की लंबी सूची है। अब देखना है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकारी तंत्र का फायदा उठाकर पांचों सीटों पर जीत हासिल कर पाती है या फिर एक बार विपक्ष मजबूत होकर उभरता है।

किरोड़ी की पलटी
कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा देने की बात पर पलटी मार दी है। जब उनसे पूछा गया कि इस्तीफा कब दे रहे हो तो उन्होंने कहा कि मैं कल भी मंत्री था, आज भी मंत्री हूं और अपने पद का काम कर रहा हूं। इससे साफ हो गया कि किरोड़ीलाल इस्तीफा नहीं देंगे। राजस्थान की राजनीति में बाबा के नाम से मशहूर डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा राजस्थान के धुरंधर नेता हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सवाई माधोपुर से जीतने के बाद उन्हें कृषि मंत्री जैसा हल्का विभाग दिया गया था, तभी से वह मन में असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सात सीट जितवाने का टारगेट दिया है। यदि वो ७ सीट नहीं जितवा पाएंगे तो मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। सात में से चार सीटों पर भाजपा प्रत्याशी हार गए थे, तभी से उनके इस्तीफे के कयास लगाए जा रहे थे। पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा था कि उनसे बैठकर बात की जाएगी, उसके बाद से ही मीणा के तेवर बदले नजर आ रहे हैं।

भाजपा में
समीक्षा का दौर
लोकसभा चुनाव में तीसरी बार हैट्रिक बनाने से चूकी भाजपा नेतृत्व द्वारा जयपुर स्थित प्रदेश कार्यालय में पराजित प्रत्याशियों की हार के कारणों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे सहित सभी सह प्रभारियों, क्लस्टर प्रभारी की उपस्थिति में चुनाव में पराजित हुए प्रत्याशियों से उनकी हार के कारणों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। सभी पराजित ११ प्रत्याशियों ने अपनी हार का मुख्य कारण पार्टी के नेताओं द्वारा किया गया भीतरघात बताया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा सरकार के कई मंत्रियों, विधायकों, पार्टी के बड़े पदाधिकारियों के क्षेत्र में भी भाजपा प्रत्याशी हार कर निकले हैं। इससे पता लगता है कि हारने वाले भाजपा प्रत्याशियों की उनकी ही पार्टी के लोगों ने जमकर कार सेवा की थी। झुंझुनू सीट से पराजित प्रत्याशी शुभकरण चौधरी ने तो खुलकर पूर्व सांसद नरेंद्र कुमार व उनकी जिला प्रमुख पुत्रवधू हर्षिनी कुल्हरी का नाम उन्हें हारने वालों में सबसे ऊपर बताया था। इसी तरह की पीड़ा अन्य सभी पराजित प्रत्याशियों ने भी व्यक्त की गई है।

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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