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‘राज’नीति : संकट में नए जिले

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू

राजस्थान में पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने १९ नए जिलों और तीन संभागों का गठन किया था। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद नए जिलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सरकार का मानना है कि पिछली सरकार ने जल्दबाजी में फैसला लिया था। उसके चलते इन जिलों के गठन के दौरान काफी खामियां रह गई, जिसकी समीक्षा के लिए भजनलाल सरकार ने नए जिलों की समीक्षा के लिए उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के नेतृत्व में एक उप समिति गठित की थी। इसमें जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, राजस्व मंत्री हेमंत मीणा शामिल हैं। सरकार ने पूर्व आईएस अधिकारी ललित पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की है। यह समिति १५ दिन के भीतर नए जिलों के गठन को लेकर की गई सिफारिशों की समीक्षा कर रिपोर्ट उप समिति के अध्यक्ष उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को सौंपेगी। सीमांकन और आबादी के लिहाज से पैमाने पर फिट नहीं बैठने वाले नए जिलों में अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, दूदू, फलौदी, गंगापुर सिटी, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर शहर, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, कोटपुतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, नीमकाथाना, सलूंबर, सांचैर, शाहपुरा (भीलवाड़ा) शामिल है।

दीया कुमारी का डर
राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी को आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर अभी से हारने का डर लगने लगा है। प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर विस्तारकों की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए दीया कुमारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कम समय मिलने के चलते हम ११ सीटों पर चुनाव हार गए थे। हमारी सरकार को मात्र दो महीने काम करने का समय मिला था। अब अगले कुछ महीनो में पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद उपचुनाव की तैयारी के लिए भी हमें बहुत कम समय मिलेगा। दीया कुमारी के बयान से लगता है कि उन्होंने अभी से उपचुनाव में हार मानकर बयान दे दिया है ताकि चुनाव के बाद वह अपनी बात दोहरा सके। दीया कुमारी जयपुर राजघराने की राजकुमारी है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राजनीति में साइड लाइन करने के बाद दीया कुमारी को उपमुख्यमंत्री बनाकर आगे बढ़ाया गया था। मगर पिछले लोकसभा चुनाव में वह अपने राजपूत समाज के नाराज लोगों के वोट भी भाजपा के पक्ष में नहीं डलवा पाई थी। दीया कुमारी उपमुख्यमंत्री बनने के बावजूद प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पाई है।

उप चुनाव की आहट
राजस्थान में पांच विधानसभा सीटों झुंझुनू, खींवसर, दौसा, देवली-उनियारा व चौरासी पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। ये सभी सीटें यहां के मौजूदा विधायकों के सांसद निर्वाचित होने के बाद उनके इस्तीफा देने से खाली हुई हैंै। उपचुनाव वाली पांच सीटों में से भाजपा की एक भी सीट नहीं थी। इनमें झुंझुनू, देवली-उनियारा व दौसा में कांग्रेस खींवसर में रालोपा के हनुमान बेनीवाल व चौरासी सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत विधायक थे। उपचुनाव में कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों से गठबंधन जारी रहने की संभावना जताई जा रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में ११ सीट हार चुकी भाजपा के लिए उपचुनाव करो या मरो वाली स्थिति बनी हुई है। भाजपा के नेता चाहते हैं कि पांचों सीटों पर जीतकर लोकसभा चुनाव की हार का गम भुलाया जा सके। इसके लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सभी पांचों सीटों पर जाकर चुनाव पूर्व तैयारी का जायजा ले रहे हैं। वही संगठन स्तर पर भी पांचों विधानसभा उपचुनाव के लिए संचालन समितियों का गठन कर दिया गया है। हर विधानसभा उपचुनाव की कमान किसी वरिष्ठ नेता को दी गई है।

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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