सामना संवाददाता / मुंबई
मतदाताओं को कल मतदान केंद्रों तक पहुंचाने के लिए राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता दौड़ लगाते रहे। दूसरी तरफ अधिकांश मतदाताओं के घर तक मतदाता सूचना पत्र नहीं पहुंचने से उन्हें मतदान केंद्र पर पहुंचने के बाद सूची में अपना क्रमांक और नाम ढूंढने में मशक्कत करनी पड़ी। दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में दादर-माहिम विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने प्रभादेवी के खेड़ गली में मुंबई पब्लिक स्कूल मतदान केंद्र पर जाकर मतदान किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में वोट देने के लिए वहां आने के बाद वोटरों को पता चला कि मतदान केंद्र बदल गया है। ऐसे में दिव्यांग महिला को एक मतदान केंद्र से दूसरे मतदान केंद्र तक पैदल जाना पड़ा।
मुंबई के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में वोटर लिस्ट में गड़बड़ियां दिखाई दीं। प्रभादेवी-दादर इलाके में रहने वाली दिव्यांग मतदाता संगीता भास्कर राणे छह महीने पहले लोकसभा चुनाव के लिए प्रभादेवी के खेड़ गली स्थित मुंबई पब्लिक स्कूल मतदान केंद्र पर वोट डालने आई थीं, लेकिन जब कल विधानसभा चुनाव के लिए वह उसी मतदान केंद्र पर आर्इं, तो उन्हें एहसास हुआ कि मतदान केंद्र बदल गया है। संगीता राणे ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई पूर्व सूचना नहीं होने के कारण अकारण ही परेशानी झेलनी पड़ी। मतदान केंद्र अधिकारियों ने कहा कि उनका मतदान केंद्र अब खेड़ गली के बजाय गोखले रोड पर मुंबई मनपा स्कूल में है इसलिए उन्हें अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मजबूरन वहां जाना पड़ा।
चुनाव आयोग के दावे हुए फेल
दिव्यांग मतदाता राणे ने कहा कि बताया गया था कि दिव्यांग मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग अपने घर पर ही कर सकते हैं। उसके लिए मुंबई मनपा अधिकारियों ने घर आकर आवेदन पत्र भरा था, लेकिन उक्त आवेदन आगे नहीं बढ़ सका इसलिए मैं फिर से उसी स्थान पर विधानसभा के लिए मतदान करने आई, जहां मैंने लोकसभा के लिए मतदान किया था, लेकिन एक दिव्यांग मतदाता के लिए यह सोचना दुर्भाग्यपूर्ण है कि मतदान के दिन ही मतदान केंद्र बदल दिया गया है। संगीता राणे ने कहा कि चुनाव आयोग को दिव्यांगों की सुविधाओं पर ध्यान देना जरूरी है।