दीपक तिवारी/विदिशा
मरीजों को एक ही छत के नीचे एलोपैथी के साथ आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी पद्धतियों से उपचार की योजना विदिशा में बेपटरी हो गई है। आयुर्वेदिक विभाग की बदहाली का आलम यह है कि लोग आयुष विंग का नाम तक नहीं जानते हैं।
एक ओर केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर हर मरीज को आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धति से ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोड़ने के लिए जमकर प्रयास कर रही है और अपना खजाना खोल रही है। इसी के तहत राष्ट्रीय आयुष मिशन बनाकर केंद्र सरकार ने आयुष विभाग की तस्वीर बदलने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। लेकिन जिला स्तर पर जिम्मेदार अधिकारियों की बेरुखी के चलते स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है। हालत यह है कि जिला स्तर पर ही शहर के लोगों को शासकीय आयुष विंग की जानकारी नहीं है, तो फिर ग्रामीण क्षेत्र की आयुर्वेदिक औषधालयों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पहले तो विदिशा में पुराने जिला चिकित्सालय भवन के पीछे एक कोने में शासकीय आयुष विंग की अलग- थलग बिल्डिंग बना दी गई, जबकि इसे जिला अस्पताल भवन में ही जगह दी जाना थी। फिर नया जिला अस्पताल लगभग दो किलोमीटर दूर सांची रोड पर बनने के बाद इसे भी जिला अस्पताल के साथ शिफ्ट किया जाना था, लेकिन इसकी पहल नहीं की गई। इससे एक ही छत के नीचे सभी पद्धतियों से इलाज की योजना जिला स्तर पर ही बेपटरी हो गई है।
जिला आयुष विभाग की उदासीनता देखिए कि मेन रोड पर आयुष विंग का एक बोर्ड तक नहीं लगाया, जिससे वहां से निकलने वाले लोगों को शासकीय आयुष विंग की जानकारी हो और लोग आयुर्वेदिक उपचार का लाभ ले सकें। हालत यह है कि जब आयुष विंग से कुछ दूरी पर पान की दुकान चलाने वाले दानेंद्र तिवारी को इस संस्था की कोई जानकारी नहीं है तो फिर शहर के अन्य लोगों को इसकी जानकारी होना कैसे संभव है?
लोगों का कहना है कि मेन रोड पर डीपी के पास आयुर्वेदिक चिकित्सालय का बोर्ड लगना चाहिए। जानकारी के मुताबिक शासकीय आयुष विंग, ज़िला अस्पतालों में बनाया जाने वाला एक विभाग है। इसमें आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा (यूनानी, सिद्ध, और होम्योपैथी) जैसी चिकित्सा पद्धतियों का इलाज किया जाता है। आयुष विंग में मरीज़, अपनी मर्ज़ी से या ज़िला अस्पताल के डॉक्टरों की सलाह पर इलाज करा सकते हैं। आयुष विंग में पंचकर्म और नस्य जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होती हैं।
आयुष विंग में गठिया, लकवा, पेट से जुड़े रोग, साइनस, माइग्रेन, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, साइटिका, बीपी, डायबीटीज़, लिवर संबंधी विकार, जोड़ों का दर्द, आंख और आंत की बीमारियों से ग्रस्त मरीज़ों को इलाज मिलता है। लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में इन सुविधाओं का लाभ शहर के अधिकांश लोग नहीं उठा पा रहे हैं।
जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर बनाया मॉडल औषधालय
विदिशा जिले में राष्ट्रीय आयुष मिशन की बदहाली इस कदर है कि जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पीकलोन को मॉडल औषधालय का दर्जा दिया गया है। जबकि जिला मुख्यालय से सटे किसी भी आयुर्वेदिक औषधालय को मॉडल बनाया जा सकता था, लेकिन विभाग ने अपनी कमियों को छुपाने के लिए 70 किलोमीटर दूर का औषधालय चुना, जिसका प्रभार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पास है।