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पोस्ट कोविड : दिल में सूजन बढ़ा रहा हार्ट फेल का खतरा!

प्रो.(डॉ.) राम शंकर उपाध्याय
हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल यूएसए

पोस्ट कोविड से जुड़े अल्प और दीर्घकालिक जोखिमों के बारे में हमारी समझ तेजी से स्पष्ट हो रही है। अधिकांशत: लोग किसी न किसी समय इसके हल्के या गंभीर संक्रमण में आए ही थे। ऐसा कई अध्ययनों से संकेत मिला है कि जिन लोगों ने इसके गंभीर रूपों का अनुभव किया, उनके हृदय में सूजन की संभावना भी है, जो इलाज योग्य के साथ गंभीर भी हो सकता है। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन ने भी २२ जनवरी, २०२४ को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें यूके और दुनियाभर के कई अन्य देशों में हृदय रोग से होनेवाली मौतों में वृद्धि पर प्रकाश डाला गया। बकौल ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन-इंग्लैंड में हृदय और संचार रोगों से ७५ वर्ष की आयु से पहले मरनेवाले लोगों की संख्या एक दशक से अधिक समय में उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
जोखिम की इस संभावना को महामारी के शुरुआती दो वर्षों, मार्च २०२० से मार्च २०२२ के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों से भी बल मिलता है। इस अवधि के दौरान अमेरिका में हृदय रोग से होनेवाली मौतों की संख्या में भी वृद्धि हुई, जो अपेक्षित आंकड़ों से भी लगभग ९०,००० के पार थी। हालांकि, साधारणतया बुजुर्ग सबसे अधिक जोखिम में माने जाते हैं, लेकिन इस दौरान युवाओं में हृदय संबंधी मौतों में भी वृद्धि पाई गई। एक अध्ययन से यह भी पता चला कि दिल के दौरे से होनेवाली मौतों में सबसे अधिक वृद्धि २५ से ४४ वर्ष के आयु वर्ग में हुई, जो काफी चौंकानेवाली है।
भारत से भी लगभग ऐसी ही खबरें आ रहीं हैं और अक्सर हम देखते हैं कि कोई युवा है, लेकिन दिल के दौरे से उसकी जान जा रही है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अमदाबाद में ही हृदय संबंधी घटनाओं में २८ प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, उनमें आधे मरीज ५० वर्ष से कम उम्र के थे, जबकि २५ फीसदी २१-४० वर्ष की आयु वर्ग के। यह डेटा कोविड के बाद संभावित दीर्घकालिक हृदय संबंधी प्रभावों को समझने और संबोधित करने की आवश्यकता एवं महत्व को रेखांकित करता है।
इस संदर्भ में एक उल्लेखनीय अध्ययन स्विट्जरलैंड के बेसल विश्वविद्यालय द्वारा किया गया, जो यूरोपियन जर्नल ऑफ हार्ट फेल्यूर (ऑनलाइन अक्टूबर २०२३) में प्रकाशित हुआ। हालांकि, यह अध्ययन उन व्यक्तियों पर ही केंद्रित था, जिन्हें अपना पहला बूस्टर टीका (स्Rर्‍A) मिला था, लेकिन इसके निष्कर्ष गौर करने लायक हैं। अध्ययन में ७७७ अस्पताल कर्मचारियों की जांच में २.८ प्रतिशत पर पता चला कि हृदय में सूजन या हृदय कोशिका में क्षति है। यह आंकड़ा पूर्व में दूसरे टीके की खुराक के बाद किए गए अध्ययन में
ऑब्जर्व की गई दर ०.००३५ प्रतिशत से काफी अधिक मतलब लगभग ८०० गुना है। चिकित्सा क्षेत्र में पूर्व के मान्य स्तर से इतना बड़ा विचलन चिंता का कारण है और इस पर गौर किया जाना चाहिए।
जो बात इन दोनों अध्ययनों को अलग करती है वह यह है कि नए अध्ययन में उन सभी व्यक्तियों की जांच की गई, जिनमें लक्षण दिखे हों या नहीं दिखें हों, जबकि पुराने अध्ययन में सिर्फ वो थे, जिन्होंने हृदय समस्या से संबंधित लक्षणों का अनुभव किया था और उन्हें औपचारिक निदान के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मतलब अलाक्षणिक हृदय समस्या वाले लोग उस समय इस आंकड़े में शामिल नहीं थे। इसमें ऐसे लोग भी थे, जिन लोगों को हृदय संबंधी समस्याओं का अनुभव हुआ, लेकिन उनके हृदय मॉनिटर (ईसीजी) पर कोई लक्षण या असामान्यताएं प्रदर्शित नहीं हुर्इं, इसकी जगह उनके रक्त में हार्ट इंजरी को दर्शानेवाले कार्डियक ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया।
इसमें चिंता की यह बात है कि हृदय में सूजन का पाया जाना और कई बार इसका साइलेंट रहना। हृदय की सूजन अनियमित दिल की धड़कन, हार्ट फेल के नुकसान जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकती है। इस कारण इसकी वजह कहीं टीका या हृदय के ऊतकों के साथ परस्पर क्रिया करनेवाले एंटीबॉडी या टीके में स्पाइक प्रोटीन को लक्षित करनेवाले एंटीबॉडी से जुड़ा हो सकने जैसी संभावनाओं पर चर्चा छिड़ गई है, जो अक्सर हार्ट इंजरी का कारण बनता है, विशेष रूप से पेरीकार्डिटिस और मायोकार्डिटिस रोग। हालांकि, यह चिंताजनक है कि कुछ देशों ने इस विषय पर जांच रोक दी है, लेकिन इस प्रकार के अनियमित दिल की धड़कन और कोविड-१९ या वैक्सीन से संबंधित मायोकार्डियल इंजरी से जुड़े हार्ट फेल के दीर्घकालिक जोखिमों का आकलन करने के लिए आगे शोध होना चाहिए, ताकि भ्रम की जगह असली और अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा सके और लोगों की जान बचाई जा सके। इस अध्ययन में यह भी बताया गया कि वैâसे हृदय की सूजन हार्ट फेल का कारण बन सकती है और कुछ सूजन जो स्पष्ट लक्षणों के बिना होती हैं वह भी रोगियों को प्रभावित कर सकती हैं। अनजान होने के कारण इलाज से छूट जाने पर यह गंभीर हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है। इसे स्वास्थ्य अधिकारियों और चिकित्सा पेशेवरों द्वारा गहन दृष्टि से पहचानने की जरूरत है। लोगों को इस संभावित समस्याओं के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और सुरक्षा के तौर पर अत्यधिक परिश्रम या कसरत से बचने की सलाह दी जानी चाहिए।
नए अध्ययन में रक्त नमूनों का संग्रह, १४ सूजन मार्करों, उच्च-संवेदनशीलता कार्डियक ट्रोपोनिन और एंटीबॉडी की जांच शामिल थी। इस अध्ययन में एक उच्च संवेदनशीलता कार्डियक ट्रोपोनिन परीक्षण को नियोजित किया गया था, जो ईसीजी या लक्षण अवलोकन जैसे तरीकों की तुलना में अधिक संवेदनशील है। यह परीक्षण किसी भी लक्षणों के न दिखने के बावजूद हृदय की समस्याओं का पता लगा सकता है। इस नियंत्रण समूह में, उच्च संवेदनशीलता ट्रोपोनिन का स्तर ३ नैनोग्राम प्रति लीटर मापा गया। इसके विपरीत हार्ट इंजरीवाले रोगियों में ये स्तर ५ नैनोग्राम प्रति लीटर तक बढ़ गया था। गंभीर हार्ट इंजरी वाले लोगों के लिए यह स्तर १७ नैनोग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गया। इनमें से अधिकांश मार्करों ने दो समूहों के बीच स्थिरता प्रदर्शित की। हालांकि, हार्ट इंजरी वाले समूह में दो मार्कर इंटरफेरॉन लैम्ब्डा और जीएमसीएसएफ विशेष रूप से कम पाए गए। इंटरफेरॉन लैम्ब्डा, सूजन को कम करने एवं हार्ट इंजरी को ठीक करने में अपनी भूमिका के लिए पहचाना जाता है और जब यह कम है तो सूजन का खतरा बढ़ जाता है और हार्ट ऊतक की क्षति या हार्ट इंजरी का खतरा बढ़ जाता है।
मेरे विश्लेषण के संकेत हैं कि यह सूजन अनियमित हृदय और हृदय विफलता जिसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं, का कारण बन सकती है। सूजन के कारण स्कार ऊतक का निर्माण सामान्य हृदय गतिविधि में भी हस्तक्षेप कर सकता है, जिससे अनियमितता का खतरा और बढ़ जाता है और यदि इसकी पुनरावृत्ति हो तो हार्ट फेल और कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। हृदय स्वास्थ्य पर इस सूजन के प्रभाव को समझना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त हमारी इलाज क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इंटरफेरॉन लैम्ब्डा जैसे नवीन मार्करों का समावेश आवश्यक है। यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह किसी को भी हो सकता है, चाहे वे रोगी हों या स्वस्थ व्यक्ति हों, इसलिए अपने शरीर को अत्यधिक तनाव, तीव्र शारीरिक व्यायाम या अनुचित जोखिम से बचाना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग को अनिश्चित दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में जागरूक करना चाहिए, जो अनियमित दिल की धड़कन, हार्ट फेल या स्थायी क्षति के रूप में हो सकती हैं।

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