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लद्दाखियों का शक्ति प्रदर्शन! …लेह के एनडीएस स्टेडियम में एकत्र हुए लाखों लद्दाखी

–सुरेश एस डुग्गर / जम्मू

अपने अधिकारों को पाने और मांगों को मनवाने की खातिर आज लद्दाख की जनता ने शक्ति  प्रदर्शन किया। लेह चलो आह्वान के बीच करगिल व लेह के अतिरिक्त लद्दाख के दूर-दराज के लोग लेह के एनडीएस स्टेडियम में एकत्र हुए थे, जबकि लद्दाख में बंद का असर कल रात से ही दिखने लगा था।
हालांकि, इस आग को अंतिम मौके पर फैलने से रोकने की केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कोशिश की गई थी, पर गृहमंत्रालय के आश्वासन और बातचीत के नए दौर के न्योते के बावजूद लद्दाख के नेताओं ने आज के आह्वान को वापस लेने से इंकार कर दिया था। करगिल जिले में भी पूर्ण बंद देखा गया है, जबकि लद्दाख को राज्य का दर्जा, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण और लेह और करगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट सहित विभिन्न मांगों की पुष्टि के लिए लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के लेह जिले में एक विरोध मार्च निकाला गया।
लेह एपेक्स बाडी (एलएबी) और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) द्वारा ’लेह चलो’ का आह्वान जारी किया गया था, जिसमें लोगों से अपना विरोध व्यक्त करने के लिए लेह में इकट्ठा होने का आग्रह किया गया था। सभी दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और कार्यालय बंद रहे, जबकि परिवहन सेवाएं भी बाधित रहीं।
दरअसल, गृह मंत्रालय की चिंता का कारण अब मैगसाय पुरस्कार से सम्मानित सोनम वांगचुक द्वारा विरोध में कल से भूख हड़ताल करने की घोषणा भी है। सोनम वांगचुक पहले भी बर्फ में शून्य से 20 डिग्री नीचे के तापमान में दो बार लंबी भूख हड़ताल कर चुके हैं, जिसे पूरे लद्दाख का समर्थन मिला था। लद्दाख की जनता दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर लद्दाख को राज्य का दर्जा देने तथा संविधान की 6वीं अनुसूची में शामिल करवाने की मांगों का समर्थन कर रही है। जानकारी के लिए बता दूं कि लद्दाख अपने उस केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे से नाखुश है, जो उसने 30 सालों के आंदोलन के बाद पाया था, क्योंकि इस दर्जे से उसे लगता है कि उसके लोकतांत्रिक अधिकार छिन लिए गए हैं तथा अब वह केंद्र का उपनिवेश बन कर रह गया है।
यही कारण था कि जिन मुद्दों को लेकर लद्दाख में आंदोलन तेज हुआ है, उनमें लद्दाख को राज्य बनाना, इसे संविधान के छठे शेडयूल के दायरे में लाना, सिक्किम की तर्ज पर लद्दाख में विधानसभा का गठन, क्षेत्र में सरकारी नौकरियों पर सिर्फ लद्दाख के युवाओं को नियुक्त करना व लद्दाख के लिए एक की जगह दो संसदीय सीटें बनाकर लेह व करगिल के लोगों की उम्मीदों को पूरा करना मुख्य है। हालांकि, चार दिसंबर, 2023 को गृह मंत्रालय की ओर से उनकी मांगों का विस्तृत मसौदा उपलब्ध कराने के अनुरोध के बाद आश्वासन दिया गया था कि संसद के शीतकालीन सत्र के बाद बातचीत फिर से शुरू होगी।
27 पन्नों का मसौदा प्रस्तुत करने और शीतकालीन सत्र के समापन के बावजूद आगे की चर्चा के लिए गृह मंत्रालय की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है। भूमि, नौकरियों और सांस्कृतिक संरक्षण के बारे में चिंताओं के आलोक में, करबलाई ने जनता से केडीए द्वारा बुलाए गए कारगिल बंद और लेह एपेक्स बॉडी द्वारा शुरू किए गए ’लेह चलो आंदोलन’ का समर्थन करने का आग्रह किया और अब लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए आंदोलनरत लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और करगिल डेमोक्रेटिक पार्टी (केडीए) के प्रतिनिधिमंडल को गृह मंत्रालय ने 19 फरवरी को बातचीत के लिए बुलाया है। दोनों संस्थाओं की ओर से संयुक्त ज्ञापन 19 जनवरी को सौंपा गया था। आंदोलनरत लोगों से बातचीत के लिए गृह मंत्रालय ने गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को नामित किया है।

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