आदिवासी दुविधा में पड़े
सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र और राज्य सरकारों ने बड़े जोर-शोर से सबके लिए आवास योजना की घोषणा की है। हालांकि, यह योजना कितनी धोखाधड़ी वाली है, इसका सबूत शाहपुर तालुका के गांवों में देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री आवास और शबरी घरकुल योजना के तहत शाहपुर में १५,००० घरों को मंजूरी दी गई। उनमें से कुछ को १५,००० रुपए की पहली किश्त मिली। इससे मकानों की दीवारें खड़ी हो गर्इं, लेकिन पांच माह से दूसरी किश्त नहीं मिली है। परिणामस्वरूप, मकान आधे-अधूरे पड़े हुए हैं। किश्त के बारे में अधिकारी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे रहे हैं। आदिवासी परिवार घर को लेकर दुविधा में पड़ गए हैं।
शाहपुर में १५,००० से अधिक आदिवासी परिवारों को पीएम आवास योजना, शबरी घरकुल योजना और अन्य योजनाओं के तहत १ लाख २० हजार रुपए की सहायता के साथ आवास के लिए मंजूरी दी गई। विहिगांव और माल क्षेत्र के कुछ लाभार्थियों को पहली किश्त भी नहीं मिली है। पांच महीने पहले कुछ लोगों को १५,००० रुपए की पहली किश्त मिली थी। इस राशि से मकान का काम शुरू किया गया। तालुका के कई परिवार मकान का काम आंशिक रूप से पूरा होने के बाद शेष बचे काम की पहली और दूसरी किश्त पाने के लिए पंचायत समिति कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।