शरारती कहता है आओ
मैं तुम्हें शरारत में हराऊंगा।
मारूंगा गिराऊंगा।
और जीत जाऊंगा
यह समर यह शरारत युद्ध।
क्योंकि मैं शराफत नहीं जानता
जिस पर तुम रेंग रहे हो
केचुए की तरह निरीह बनकर ।
हमें तो अपनी शरारत पर नाज है ।
इसका बोलबाला है, राज है।
यह कल का नहीं आज का
आधुनिक समाज है
न दुख है न लाज है।।
-अन्वेषी