जयपुर। राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम ने प्रदेश के 150 जीएसएस को प्राइवेट कंपनियों को सौंपने की तैयारी कर ली है। इसके लिए सितंबर के पहले सप्ताह में आदेश जारी कर टेंडर भी निकाल दिए। इन 150 जीएसएस में 132 केवी के सब स्टेशन है। बताया जा रहा है कि अगले महीने से ये व्यवस्था लागू हो जाएगी। इसके बाद राजस्थान सरकार के पास एक भी जीएसएस का संचालन नहीं होगा।
इधर प्राइवेट कंपनी के हाथों में सभी जीएसएस का संचालन जाने के चलते कर्मचारी संगठन विरोध में उतर आए है। उनका कहना है कि प्राइवेट कंपनी को ठेका मिलने के बाद सरकार की ओर से नई भर्तियां नहीं निकलेगी। इससे बेरोजगारी के साथ ही दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ेगी। इस मामले में निगम के एसई वीए काले का कहना है कि बोर्ड के कहने पर ये आदेश जारी किया गया है।
प्रदेश में 132 केवी के 486 जीएसएस में से कांग्रेस सरकार 336 जीएसएस पहले ही प्राइवेट कंपनियों को दे चुकी है। राजस्थान में 132 केवी के कुल 486 जीएसएस है। कांग्रेस सरकार ने भी दो बार इस तरह के आदेश जारी किए थे और 336 जीएसएस मेंटेनेंस और ऑपरेशन टेस्टिंग के साथ निजी हाथों में दिए थे। इसके बाद राजस्थान सरकार के पास 150 जीएसएस बाकी रह गए थे। अब भाजपा सरकार में इनके आदेश जारी किए गए हैं और 6 सितंबर से 27 सितंबर तक टेंडर मांगे गए हैं। सूत्रों की माने तो 27 सितंबर को ही ये टेंडर जारी कर दिए जाएंगे और अक्टूबर महीने से प्राइवेट कंपनियों को हैंड ओवर कर दिए जाएंगे।
इस आदेश के अनुसार 1 से 3 साल के लिए इन सब-स्टेशनों के मेंटेनेंस और संचालन के साथ टेस्टिंग को शामिल किया गया है। 150 जीएसएस के एक साल के मेंटेनेंस पर 31.76 करोड़ और तीन साल के मेंटेनेंस पर 95.29 करोड़ रुपए की मंजूरी हुई है। कंपनी को इन सभी 150 ग्रिड सब-स्टेशनों का संचालन, रखरखाव और परीक्षण को आउट सोर्सिंग पर देने के लिए प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी भी मिल चुकी है।
जीएसएस को प्राइवेट कंपनी को ठेके पर देने के आदेश को लेकर कर्मचारी संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। आरोप है कि ये आदेश कर्मचारियों के हित में नहीं है। ऐसे आदेश से नई भर्तियों के रास्त बंद हो जाएंगे। प्रदेश में तैयारी कर रहे युवाओं को रोजगार नहीं मिल पाएगा। बिना ट्रेनिंग ठेका कर्मी काम करेंगे, इससे बिजली विभाग में दुर्घटनाएं बढ़ेगी। राज्य सरकार के इस फैसले के बाद कार्यरत कर्मचारियों ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया है।
भारतीय मजदूर संगठन के यतेंद्र कुमार ने बताया कि इसका सबसे ज्यादा नुकसान कर्मचारियों को है। जब 150 जीएसएस मेंटेनेंस के लिए प्राइवेट ठेके पर चले जाएंगे तो वहां काम करने वाला स्टाफ कहां जाएगा। यहां के स्टाफ को कहां लगाएंगे। प्राइवेट हाथों में सौंपकर युवाओं के लिए नई भर्तियां तो बंद हो गई है, वहीं जीएसएस पर तैनात स्टाफ की नौकरी पर भी संकट आ गया है। सभी जीएसएस का निजीकरण होने से कर्मचारियों को हटाया जाएगा। इसके साथ ही उन पर वीआरएस की तलवार भी लटक रही है। प्रॉफिट में चलने वाले जीएसएस प्राइवेट कंपनियों को सौंप रही है। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग ऑपरेशन मेंटेनेंस के पैसे बचाने के नाम पर प्रॉफिट में चलने वाले जीएसएस निजी कंपनियों को सौंप रहा है।