ब्रिजेश पाठक
गारगई डैम एक बार फिर चर्चा में है। मंगलवार को विधानपरिषद में मुंबई में हो रही पानी की किल्लत का मामला उठाया गया। इसके जवाब में उद्योग मंत्री उदय सामंत ने बताया कि पालघर में गारगई डैम को बनाया जाएगा, जिससे मुंबई में रोजाना ४०० एमएलडी पानी की आपूर्ति की जाएगी। यहां सवाल यह उठता है कि महज ४०० एमएलडी पानी के लिए करीब ५ लाख पेड़ों का कत्ल करना और हजारों जीव -जंतुओं को बेघर करना कितना जायज है?
मिली जानकारी के मुताबिक, मनपा यह डैम पालघर में बनाने वाली है। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत ५ हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है और प्रोजेक्ट समय पर पूरा न होने पर लागत बढ़ने की संभावना है। बता दें कि अभी मुंबई को वैतरणा, मध्य वैतरना, तुलसी, विहार, मोडक सागर, भातसा, तानसा झीलों से लगभग ३,८५० एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है। लेकिन हाल के वर्षों में मुंबई की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है। यही वजह है कि शहर में पानी की मांग प्रतिदिन ४,५०० एमएलडी से अधिक पहुंच गई है, वहीं ७०० एमएलडी पानी रिसाव व चोरी की वजह से बर्बाद होता है और मनपा इसे रोकने में पूरी तरह विफल नजर आती है।
पर्यावरण विशेषज्ञ आनंद पेंढारकर ने बताया कि दुनियाभर में कई देश प्रकृति को संरक्षित करने के लिए डैम बनाने की योजना को निष्क्रिय कर रहे हैं, लेकिन हम अभी भी केवल उन्हें बनाने के बारे में ही सोच रहे हैं। डैम बनाना ही एकमात्र विकल्प नहीं है। मनपा रेन वाटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल संचयन) को अनिवार्य क्यों नहीं कर रही है? चेन्नई में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है। इसके अलावा उपचारित सीवेज जल को भी गैर-पीने योग्य उपयोग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। शहर की कई पुरानी बस्तियों में तालाब और कुएं हैं। उस पानी का गैर-पीने योग्य उपयोग के लिए उपयोग किया जा सकता है।
डीसेलिनेशन प्लांट में सुस्ती!
मनपा मालाड के मनोरी में डीसेलिनेशन प्लांट बनाने की तैयारी में है, जिससे समुद्र के खारे पानी को मीठे पानी में तब्दील किया जाएगा। लेकिन मनपा की सख्त शर्तों की वजह से कोई भी कंपनी आगे आने को तैयार नहीं है। यह देखकर मनपा ने अपनी शर्तों में संसोधन की बात कही है।
अगर पानी ही चाहिए तो डीसेलिनेशन के जरिए पूरी की जा सकती है। पालघर में गारगई डैम के लिए सिर्फ पेड़ ही नहीं काटे जाएंगे, बल्कि जीव जंतु भी मारे जाएंगे।
-विशाल शुक्ला (नालासोपारा निवासी)
`डैम बनाने के लिए ५ लाख पेड़ों को काटना कतई उचित नहीं है। पेड़ ही पानी बरसाते हैं और उन्हें काटने से अकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।’
-मोहम्मद हदीस सिद्दीकी (मालाड निवासी)