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प्रोजेक्ट पड़ताल : वर्सोवा-दहिसर कोस्टल रोड की डेडलाइन तय!.. लेकिन मुंबई हाई कोर्ट व मैरीटाइम की नहीं मिल रही अनुमति!

ब्रिजेश पाठक

मनपा कोस्टल रोड के दूसरे चरण के रूप में वर्सोवा से दहिसर तक ब्रिज का निर्माण कराने वाली है। कयास लगाया जा रहा है कि ब्रिज के पूरे होने पर मुंबई उपनगरीय क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था में सुधार आने की उम्मीद है। गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से तो अनुमति मिल गई है, लेकिन मुंबई हाई कोर्ट व महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड द्वारा अब तक अनुमति नहीं मिली है, जिसके कारण अब तक निर्माण प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
दरअसल, वर्सोवा-दहिसर प्रोजेक्ट में कुछ इलाकों में मैंग्रोव्स को हटाना पड़ेगा। विशेषज्ञों की मानें तो मैंग्रोव्स पर्यावरण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह समुद्री जीवों की मदद करते हैं और सुनामी के दौरान उफनती लहरों को रोकते हैं। शायद यही वजह है कि कई पर्यावरण विशेषज्ञ वर्सोवा-दहिसर प्रोजेक्ट के खिलाफ हैं। वहीं मनपा ने प्रोजेक्ट निर्माण के लिए रास्ता साफ करना शुरू कर दिया है। एसआरए और मनपा ने अंधेरी-पश्चिम स्थित संजीव एन्क्लेव के पास लगभग १,००० वर्गमीटर भूमि पर अतिक्रमण कर बनी ७१ झोपड़पट्टियों को हटा दिया है। मनपा ने वर्सोवा इंटरचेंज से गोरेगांव-पश्चिम के बांगुर नगर तक आठ लेन का एलिवेटेड रोड बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण झोपड़पट्टी पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) से किया है। इसके अतिरिक्त, मनपा वर्सोवा स्थित केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान का ६ हजार वर्गमीटर भूमि पर से अतिक्रमण हटाने का कार्य कर रही है, जबकि महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट ऑथॉरिटी (म्हाडा) भी इस क्षेत्र में २,१२१.०६ वर्गमीटर भूमि का अधिग्रहण करेगी। मनपा के संयुक्त आयुक्त विश्वास शंकरवार ने इस खबर की पुष्टि की है। वर्सोवा में म्हाडा की २,९९७.०८ वर्गमीटर अतिक्रमित भूमि से ३१ अन्य निर्माणों को भी हटाया जाएगा। इस परियोजना का असर क्षेत्र के ८५,००० वर्गमीटर में फैले हुए दलदली मैंग्रोव्स भूमि पर भी पड़ेगा। बता दें कि पिछले वर्ष दिसंबर महीने में मनपा ने घोषणा की थी कि वर्सोवा-दहिसर रोड और दहिसर-भायंदर लिंक रोड के लिए कोस्टल रेगुलेशन जोन (सीआरजेड) की मंजूरी मिल गई है। मनपा की एक नोटिस के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने १३ नवंबर को सीआरजेड ने मंजूरी प्रदान की थी। हालांकि, इस परियोजना को मुंबई हाई कोर्ट और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड की मंजूरी अभी तक नहीं मिली है, जिसके बिना निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सकता।

पर्यावरणीय मंजूरियों का इंतजार
जब म्हाडा और मत्स्य विभाग द्वारा सभी अतिक्रमण हटा दिए जाएंगे, तो संरेखण और पाइलिंग का कार्य शुरू किया जाएगा। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया का एक हिस्सा है। हम कुछ पर्यावरणीय मंजूरियों का इंतजार कर रहे हैं। -मनपा अधिकारी

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