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प्रोजेक्ट पड़ताल : मीरा-भायंदर में सरकार का ‘कागजी विकास’ उजागर!.. ४१० करोड़ के अनुदान में से एक चौथाई भी नहीं मिली रकम

प्रेम यादव

मीरा-भायंदर में विकास कार्यों के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से स्वीकृत किए गए करोड़ों रुपए के अनुदान का जमीन पर कोई खास असर नजर नहीं आ रहा है। संशोधित बजट में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि वित्तीय वर्ष २०२४-२५ के लिए मीरा-भायंदर मनपा को ४१० करोड़ रुपए का अनुदान मिलना था, लेकिन अब तक एक चौथाई रकम भी मनपा को नहीं मिल पाई है।
इस हालात में मनपा द्वारा शुरू किए गए कई अहम विकास कार्य अधर में लटक गए हैं। अगर जल्द ही और अनुदान प्राप्त नहीं हुआ तो बजट की भारी कमी के चलते इन सारे प्रोजेक्ट्स के बंद होने की नौबत आ सकती है। मनपा प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स की रूपरेखा तैयार की थी, जिनमें बिजली से चलने वाली शवदाहिनी (विद्युत दाहिनी), नए तरण ताल (स्विमिंग पूल), समाज भवन निर्माण, कचरे की प्रोसेसिंग यूनिट, वॉटर सप्लाई सिस्टम को मजबूत करना जैसे बड़े कार्य शामिल हैं। इन कार्यों पर भारी भरकम खर्च आना तय है, जिसके लिए मनपा की खुद की आर्थिक स्थिति पर्याप्त नहीं है।
इसी कारण से केंद्र और राज्य सरकार से अनुदान की मांग की गई थी और कागजों पर यह अनुदान मंजूर भी कर दिया गया था। लेकिन हकीकत में अब तक सिर्फ कुछ राशि ही मनपा के खाते में आई है।
मनपा प्रोजेक्टों को पूरा करने में असमर्थ
जबकि कई प्रोजेक्ट शुरू करके अधर में लटक गए हैं, उनकी रफ्तार धीमी है। अगर समय पर बकाया अनुदान राशि नहीं मिली तो मनपा के लिए इन प्रोजेक्ट्स को जारी रखना असंभव हो जाएगा। समय पर अनुदान नहीं मिलने की स्थिति में सभी विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है। प्रशासन लगातार सरकार से अनुदान की मांग कर रहा है और प्रयास जारी है कि जल्द से जल्द पूरी राशि प्राप्त हो जाए।
विकास को लगा झटका
सरकार के इस ‘कागजी अनुदान’ ने मीरा-भायंदर के विकास को झटका दे दिया है। अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो जनता के लिए शुरू की गई योजनाएं अधूरी ही रह जाएंगी और शहर के विकास की गति थम जाएगी।

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