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प्रोजेक्ट पड़ताल : मनपा प्रशासन ने कर दिया था वर्सोवा-मढ़ प्रोजेक्ट को गायब! …फिर बजट के पिटारे में दिखी यह परियोजना

ब्रिजेश पाठक

वो कहावत आप लोगों ने सुनी होगी कि काम मत कर, काम की फिक्र कर और बार-बार जिक्र कर। यही हाल मनपा का है। मनपा ने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने का जिम्मा लिया है। मनपा शहर में कई ऐसे प्रोजेक्टों पर काम कर रही है, जिससे यातायात को दुरुस्त किया जा सके। लेकिन कुछ प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनका सिर्फ जिक्र होता है लेकिन काम पूरा होने के आसार नजर नहीं आते।
दरअसल, मनपा की बहुप्रतीक्षित केबल-स्टे ब्रिज परियोजना, जो मुंबई के पश्चिमी उपनगर में मालाड के मढ़ आइलैंड को वर्सोवा से जोड़ेगी, इस वर्ष के मनपा बजट में फिर से शामिल की गई है, जबकि पिछले वर्ष के बजट से यह ‘गायब’ हो गई थी। इस परियोजना की कुल लागत ३,९८४ करोड़ रुपए आंकी गई है और इस वर्ष के बजट में इसके लिए १९.७५ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

वर्सोवा क्रीक के
ऊपर से गुजरेगा ब्रिज
प्रस्तावित केबल-स्टे ब्रिज वर्सोवा क्रीक के ऊपर से गुजरेगा। वर्सोवा और मढ़ दोनों ही पश्चिमी उपनगर में स्थित हैं, लेकिन इन दोनों स्थानों के बीच कोई सीधी सड़क नहीं है और लोग अपने दैनिक आवागमन के लिए फेरी सेवा का उपयोग करते हैं। वहीं मानसून के दौरान यह फेरी सेवा चार महीने के लिए निलंबित रहती है। इसके अलावा, आवागमन का एकमात्र विकल्प पश्चिमी एक्सप्रेस हाईवे या एस.वी. रोड के माध्यम से मढ़ आइलैंड और वर्सोवा तक पहुंचा जा सकता है। इन दोनों जगहों के बीच २२ किलोमीटर की दूरी है, जिसमें व्यस्त समय के दौरान आमतौर पर ४५-६० मिनट का समय लग जाता है। यह केबल-स्टे फ्लाईओवर १.५ किलोमीटर लंबा और २७.५ मीटर चौड़ा होगा। पुल पर चार लेन होगी, प्रत्येक दिशा में दो लेन होंगे। मनपा ने साफ किया है कि निर्माण कार्य के दौरान मैंग्रोव्ज को न्यूनतम क्षति पहुंचाने के लिए अस्थायी पुलियों का निर्माण किया जाएगा।

अब सही रास्ते पर है परियोजना
यह परियोजना अब सही रास्ते पर है। दो ठेकेदार संयुक्त उपक्रम के तहत कार्य करेंगे। टेंडर मिलने के तुरंत बाद हमने स्वीकृति पत्र जारी कर दिए थे।
-अभिजीत बांगड़, अतिरिक्त मनपा आयुक्त

२०१९ में टेंडर भी कर दिया गया था जारी
बता दें कि इस पुल के निर्माण को लेकर मनपा ने वर्ष २०१५ में चर्चा की थी और इसके लिए २०१९ में टेंडर जारी किया गया था। इसके बाद ठेकेदारों का चयन भी कर लिया गया था, लेकिन वह ढाक के तीन पात ही साबित हुआ। यह परियोजना शुरू नहीं की जा सकी क्योंकि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मनपा अधिकारियों को ऐसी नई डिजाइन पेश करने के लिए कहा था, जिससे पर्यावरण और जीव-जंतुओं पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके। स्थानीय मछुआरा समुदाय के साथ परामर्श कर एक नई डिजाइन तैयार की गई और इसे मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा गया। लेकिन यह सब करने में मनपा को लंबा वक्त लग गया। मनपा के मुताबिक, पिछले वर्ष ही केंद्रीय मंत्रालय से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त हुई है।

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