-बांद्रा-वर्सोवा ब्रिज का कार्य 2018 में हुआ था शुरू
-अब तक मात्र 17% ही हुआ काम
ब्रिजेश पाठक
शहर में यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। मुंबईकरों का ट्रैफिक के मारे बुरा हाल है। हालात ऐसे हो गए हैं कि प्रतिदिन आम यात्री २ से ३ घंटे का समय ट्रैफिक में गंवा रहा है। जब आम जनता सरकार से सवाल करती है तो उसे शहर में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्ट गिनाए जाते हैं। हकीकत तो यह है कि इन प्रोजेक्टों की सिर्फ डेडलाइन को आगे बढ़ा दिया जाता है। पहला कोस्टल रोड जो करीब १३ हजार करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ है, उसके पैचवर्क का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मुंबईकरों ने मनपा को जमकर लताड़ लगाई थी। वहीं दूसरा कोस्टल रोड जो बांद्रा से वर्सोवा तक बनाया जाएगा, इस प्रोजेक्ट के सपने मुंबईकरों को दिखाए जा रहे हैं।
अगले चरण के रूप में बांद्रा-वर्सोवा कोस्टल रोड का निर्माण कार्य किया जा रहा है। २०१८ में इसका निर्माण शुरू किया गया था लेकिन २०२५ आने तक मात्र १७ प्रतिशत ही काम हुआ है। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत १८ हजार १२० करोड़ है। इस प्रोजेक्ट का कार्य महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएसआरडीसी) द्वारा किया जा रहा है। इसमें मुख्य सी लिंक की लंबाई ९.६ किलोमीटर होगी एवं ८ लेन होंगे। कनेक्टर्स सहित इसकी कुल लंबाई १७.१७ किलोमीटर है। इसमें बांद्रा कनेक्टर (२ प्लस २ लेन), कार्टर रोड (३ प्लस ३ लेन), जुहू कोलीवाड़ा (२ प्लस २ लेन), नाना नानी पार्क (३ प्लस ३ लेन) शामिल है। इस प्रोजेक्ट की डेडलाइन २०२८ रखी गई है लेकिन सुस्त निर्माण कार्य की वजह से प्रोजेक्ट की डेडलाइन आगे खिसकने की पूरी संभावना है। वहीं मानसून में इस प्रोजेक्ट के निर्माण की रफ्तार धीमी हो जाएगी। ऐसे में समय पर इसे पूरा करना एमएसआरडीसी के लिए चुनौती है।
इस प्रोजेक्ट के तैयार होने से क्या होंगे फायदे?
यात्रा की दूरी में कमी और गति में वृद्धि होगी, जिससे समय की बचत होगी। यात्रा के समय में कमी के कारण र्इंधन की भी बचत होगी। वाहनों के रख-रखाव की लागत में कमी आएगी। वहीं पर्यावरणीय लाभ व भूमि मूल्य में वृद्धि दर्ज होने की अपेक्षा है। इसके अलावा रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी तथा यातायात में सुगमता के कारण ट्रैफिक से मुक्ति मिलेगी।
अधिवेशन के कारण नहीं साझा कर सकते डिटेल्स
अधिवेशन के कारण इस प्रोजेक्ट की किसी भी प्रकार की डिटेल्स साझा नहीं कर सकते हैं। मैं कोशिश करता हूं लेकिन ये मुश्किल है।
-तुषार अहिरे, एमएसआरडीसी,
जनसंपर्क अधिकारी
देरी के लिए सरकार व ठेकेदार जिम्मेदार
बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक की पूर्णता तिथि में देरी हो रही है, जिसे महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) द्वारा निर्मित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार और ठेकेदार दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं। मूल रूप से इस प्रोजेक्ट को २०२६ तक पूरा करने की योजना थी, लेकिन धीमी प्रगति के कारण अब इसे मई २०२८ तक बढ़ा दिया गया है। निर्माण कार्य २०१८ में शुरू हुआ था, लेकिन अब तक केवल १७ प्रतिशत ही काम पूरा हो पाया है। इस परियोजना की लागत भी बढ़कर लगभग १८,१२० करोड़ रुपए हो गई है, जो २०१७ में अनुमानित लागत ७,५०२ करोड़ से लगभग १४० प्रतिशत अधिक है।
-अनिल गलगली, आरटीआई एक्टिविस्ट