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बिहार में अधूरे काम पर पुताई का विरोध, मुंबई में क्यों नहीं? …अधूरी मेट्रो परियोजनाओं का रंगाई पुताई से कहीं ज्यादा जरूरी है सड़कों की मरम्मत

सामना संवाददाता / मुंबई
इन दिनों बिहार के एक अधूरे पुल की रंगाई-पुताई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस अधूरे पुल को रंग-पोत कर ठेकेदार अपनी जेब भरने में जुटा है। इस मामले की खबर आने के बाद बिहार में नीतीश सरकार की जमकर आलोचना हो रही है। अब देखा जाए तो बिहार की इस घटना की तरह मुंबई में भी दर्जनों परियोजना अधूरी हैं। मेट्रो कार्य, पुल निर्माण और अन्य निर्माण कार्य के कई प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं और बिहार की तर्ज पर यहां भी उनकी रंगाई-पुताई के काम होते रहते हैं। मुंबई के कई अधूरे प्रोजेक्ट्स के निर्माण कार्य को पूरा करने में अब भी लंबा समय है, जबकि ठेकेदार रंगाई-पुताई कर अपना उल्लू सीधा करने में जुटे हैं। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार का ध्यान मुंबई की खस्ताहाल सड़कों की ओर बिल्कुल नहीं है। गड्ढेयुक्त टूटी-फूटी सड़कों के कारण शहर में ट्रैफिक की समस्या दिनों-दिन बद से बदतर होती जा रही है।

मुंबई, ठाणे, मीरा-भायंदर, भिवंडी सभी जगह एक जैसा हाल
मुंबई महानगर में मेट्रो की तमाम परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। कई पुल के काम जारी हैं। सिर्फ मुंबई ही नहीं, बल्कि ठाणे, भिवंडी व मीरा रोड में भी तमाम जगहों पर मेट्रो निर्माण के कार्य चल रहे हैं। दहिसर टोल नाके के दोनों तरफ मेट्रो के प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। यहां कोई प्रोजेक्ट २० प्रतिशत, तो कोई ३० प्रतिशत, तो कोई ५० प्रतिशत, तो कोई ६० प्रतिशत तक पूरा हुआ है, लेकिन इन अधूरी परियोजनाओं के पिलर व दीवारों और गार्डर पर रंगाई-पुताई का काम किया गया है।

अधिकारियों की मिली भगत से
जारी है पब्लिक मनी की लूट!
ठेकेदार जारी करा लेते हैं फंड

इसके चलते लंबे-लंबे ट्रैफिक जाम मुंबई की सड़कों पर देखे जा सकते हैंै। दहिसर और मीरा रोड में यह नजारा खुलेआम देखा जा सकता है। भिवंडी में लोग परेशान हैं, तो अंधेरी पश्चिम में भी मेट्रो के काम से होनेवाले ट्रैफिक जाम को लेकर लोगों में असंतोष है।

बिहार की तर्ज पर मुंबई व आसपास के उपनगरों में भी अधूरे पुलों के पिलरों की रंगाई-पुताई की जा रही है। इसके पीछे बड़ा कारण है कि कई ठिकानों पर इन अधूरी परियोजनाओं को रंग-पोतकर पूरा होने का दिखावा किया जाता है। काम बाकी होने के बावजूद अधिकारियों की मिली भगत से ठेकेदार फंड जारी करवा कर पब्लिक मनी की लूट कर रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, जब परियोजनाएं पूरी हो जाती हैं, तब आखिर में ठेकेदार रंगाई-पुताई का काम करते हैं। अधूरी परियोजना पर रंगाई-पुताई करने से परियोजना के पूरा होने तक वह गंदा व बदसूरत हो जाता है। ऐसे में उसे फिर से रंगा जाए तो इस पर खर्च बढ़ जाता है। फंड के लिए ठेकेदार रंगाई-पुताई का यह खेल खेलते हैं। यह प्रक्रिया दो बार से अधिक भी हो सकती है। ऐसे में पब्लिक के टैक्स के पैसे की बर्बादी होती है। सबकुछ जानने-समझने के बादवजूद पैसे की यह लूट चल रही है।

ट्रैफिक की भारी दुर्गति
इन अधूरी परियोजनाओं के चलते सड़क पर जगह-जगह मिट्टी-धूल और गिट्टी पड़ी हैं। लोहे-लक्कड़ पड़े हैं। इन्हें हटाने के लिए न तो ठेकेदार जहमत उठा रहे हैं और न ही मनपा के अधिकारियों की इस ओर नजरें जा रही हैं। इसके चलते लंबे-लंबे ट्रैफिक जाम मुंबई की सड़कों पर देखे जा सकते हैं। दहिसर और मीरा रोड में यह नजारा खुलेआम देखा जा सकता है। भिवंडी में लोग परेशान हैं तो अंधेरी पश्चिम में भी मेट्रो के काम से होनेवाले ट्रैफिक जाम को लेकर लोगों में असंतोष है।

फिर क्यों नहीं भरे जा रहे सड़कों के गड्ढे?
सामाजिक कार्यकर्ता बबलू चौहान ने बताया कि प्रशासन फिजूल खर्ची कर रहा है। अगर प्रशासन के पास इतना ही पैसा फिजूल पड़ा है, तो वह मुंबई की सड़कों के गड्ढों को भरने का काम पहले क्यों नहीं किया जाता? उन्होंने कहा कि मुंबई में हर साल ४०० करोड़ रुपए तक खर्च होते हैं। आखिर मनपा इतनी फिजूल खर्ची क्यों कर रही है? उसे सबसे पहले मुंबई में सड़कों के गड्ढे भरने चाहिए उसके बाद जाकर दूसरे काम करने चाहिए।

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