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मारवाड़ के जल संकट पर राजस्थान के नेताओं से सवाल…प्रवासी मारवाड़ी समाज ने मांगा जवाब

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए मुंबई पहुंचे राजस्थान के वरिष्ठ भाजपा नेताओं, पूर्व केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत और पाली सांसद पीपी चौधरी, को मारवाड़ के प्रवासी समाज ने कठोर सवालों का सामना करना पड़ा। मुंबई में आयोजित एक जनसभा के दौरान मारवाड़ी समाज ने जल संकट, किसानों की सिंचाई समस्याओं और पलायन के मुद्दे पर जवाब मांगा, लेकिन दोनों नेता ठोस समाधान पेश करने में असमर्थ दिखे।
पश्चिमी राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में लंबे समय से पानी की किल्लत और सिंचाई संसाधनों की कमी के कारण किसान परेशान हैं। यहां की सूखी जमीन और जल संकट ने हजारों किसानों को खेती छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। यह स्थिति केवल खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने रोजगार की कमी और बड़े पैमाने पर पलायन को भी बढ़ावा दिया है। समाज के प्रतिनिधियों ने शेखावत से सवाल किया कि उनके जल शक्ति मंत्री के कार्यकाल में मारवाड़ के जल संग्रह संसाधनों में सुधार क्यों नहीं हुआ।
इस पर शेखावत ने खेद जताते हुए कहा, “बजट की कमी के कारण पर्याप्त कार्य नहीं हो सके। मैं स्वीकार करता हूं कि इस क्षेत्र में और काम किया जाना चाहिए था। मैं माफी मांगता हूं और भरोसा देता हूं कि भविष्य में किसानों की सिंचाई समस्याओं को हल करने के लिए नए बांधों और जल प्रबंधन परियोजनाओं पर काम किया जाएगा।” हालांकि, उनके आश्वासन से प्रवासी मारवाड़ी समाज संतुष्ट नहीं दिखा। उन्होंने स्पष्ट रूप से पूछा कि पानी की कमी जैसी गंभीर समस्या को कब और कैसे सुलझाया जाएगा।
पाली सांसद पीपी चौधरी ने भी जनसभा में भाजपा की उपलब्धियों का बखान किया और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार मंगलप्रभात लोढ़ा को समर्थन देने की अपील की। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने हर स्तर पर विकास कार्यों को प्राथमिकता दी है। लेकिन, जब उनसे मारवाड़ के किसानों और उनके पलायन के मुद्दे पर सवाल किए गए, तो वे भी कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए।
मारवाड़ी प्रवासी समाज के सदस्यों ने कहा कि मारवाड़ के जल संकट और किसानों की दुर्दशा को वर्षों से नजरअंदाज किया जा रहा है। समाज ने नेताओं से आग्रह किया कि चुनावी भाषणों और वादों से आगे बढ़कर जमीनी स्तर पर काम किया जाए। “हम अपने परिवार और गांवों को छोड़कर मजबूरी में शहरों में बस गए हैं, लेकिन हमारा दिल आज भी मारवाड़ में बसा है,” एक प्रवासी ने कहा।
यह जनसभा चुनाव प्रचार से अधिक मारवाड़ की समस्याओं के समाधान की चर्चा में बदल गई। यह देखना बाकी है कि क्या राजस्थान के नेता इन सवालों को अपनी प्राथमिकता में शामिल करेंगे या यह केवल एक चुनावी सभा तक सीमित रह जाएगा।

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