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क्विक कॉमर्स ने किया बेड़ा गर्क … खतरे में खुदरा किराना कारोबार! …देश में बंद हो चुकी हैं लाखों खुदरा दुकानें

– कारोबार बचाने के लिए एकजुट हुए व्यापारी
सामना संवाददाता / मुंबई
पारंपरिक खुदरा किराना स्टोर्स का कारोबार संकट में है। क्विक कॉमर्स के कारण देश में लाखों स्टोर बंद हो चुके हैं और लाखों बंद होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। इसे देखते हुए देशभर के ४०,००० से ज्यादा वितरकों और ३,५०,००० उप-वितरकों के संगठन अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक संघ (एआईसीपीडीएफ) ने एक बड़ा कदम उठाया है। संगठन ने २० जनवरी से ३१ मार्च तक देशभर में ५०० से अधिक जिलों और ७०० तालुकों में खुदरा विक्रेताओं से बैठकें करने का अभियान शुरू किया है। यह कदम क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स द्वारा भारी छूट देकर सामान की कीमतों को गड़बड़ी करने के खिलाफ है।
शनिवार को बंगलुरु में इस अभियान की पहली बैठक आयोजित की गई। इसमें करीब ३०० वितरकों और खुदरा विक्रेताओं ने एकजुट होकर क्विक कॉमर्स के बढ़ते प्रभाव और घटते कारोबर पर चर्चा की। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि तकनीक का उपयोग करते हुए खुदरा कारोबार के मॉडल को मजबूत किया जाएगा।

मार्जिन बढ़ाने की कोशिश
एफएमसीजी कंपनियों से संपर्क करके मार्जिन बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। इस मामले में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष धैर्यशील पाटील ने कहा कि पारंपरिक खुदरा बाजार भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह देश के हर कोने में सेवाएं प्रदान करता है। लेकिन अब नए जमाने की ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियां हमारे कारोबार में सेंध लगा रही हैं। यदि हम अभी एकजुट नहीं होंगे तो ये हमें वित्तीय गुलामी की ओर धकेलकर रहेंगी।’

क्या है नुकसान?
हाल के दिनों में बंगलुरु में अकेले ५०,००० किराना स्टोर बंद हो चुके हैं। इसके अलावा, कई अन्य स्टोरों के भी बंद होने का खतरा है। संस्था के अनुसार, क्विक कॉमर्स के तेजी से प्रसार ने पारंपरिक रिटेल में भूचाल ला दिया है और इसका प्रभाव देशभर में देखा जा रहा है।

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