-सेंट्रल व वेस्टर्न के स्टेशनों की स्थिति बदहाल
-ममता कक्ष, प्रसाधन कक्ष व एस्केलेटर उपयोग लायक नहीं
-कहीं गंदगी की भरमार तो कहीं लटक रहे ताले
संदीप पांडेय / मुंबई
मुंबई उपनगरीय रेल मुंबई की लाइफलाइन है। इसमें हर रोज साढ़े सात लाख से अधिक यात्री सफर करते हैं। भारतीय रेलवे के दैनिक यात्रियों में से लगभग ४० फीसदी दैनिक यात्री लोकल ट्रेनों के हैं। मुंबई लोकल ट्रेन में लगभग २.६४ करोड़ यात्री सालभर में यात्रा करते हैं, जो दुनिया के सबसे व्यस्त यात्री ट्रेन प्रणालियों में से एक है। इसके बावजूद रेलवे सुरक्षा और सुविधाओं के मामलों में लगातार सवालों के घेरे में रही है। `दोपहर का सामाना’ ने यात्रियों की सुविधाओं की पड़ताल की।
रेलवे यात्रियों को स्टेशनों पर मिलने वाली सुविधाओं के प्रति गैर जिम्मेदाराना व्यवहार कर रही है। इसके लिए यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ये हाल सेंट्रल रेलवे से लेकर वेस्टर्न रेलवे तक के स्टेशनों पर देखने को मिल रहा है। रेलवे ने स्टेशनों पर यात्रियों के लिए कई उपयोगी सुविधाएं बनवाई और इंस्टाल की है, जिसके लिए रेलवे ने लाखों-करोड़ों रुपए भी खर्च किए हैं, लेकिन स्थिति ऐसी है कि इन सुविधाओं का लाभ यात्री नहीं ले पा रहे हैं। एक तरफ जहां प्रसाधनों में गंदगी पैâली है, वहीं यात्रियों के कई उपयोगी चीजों में ताला लगा है। यात्रियों की सुविधाओं के लिए रेलवे स्टेशनों पर स्वचालित सीढ़ियां, दिव्यांग प्रसाधन, महिला प्रसाधन, पुरुष प्रसाधन, स्मार्ट रिसाइकल बिन, शिशु आहार कक्ष जैसी कई उपयोगी चीजें लगाई और इंस्टाल की गई हैं, लेकिन रेलवे की लापरवाही की वजह से किसी का भी उपयोग नहीं हो पा रहा है।
वेस्टर्न रेलवे से लेकर सेंट्रल रेलवे तक के प्लेटफॉर्मों पर लगी स्वचालित सीढ़ियां आए दिन बंद पड़ी रहती हैं। अक्सर इनके सामने मेंटेनेंस का बोर्ड लगा दिया जाता है और एक से दो दिन तक ये बंद रहते हैं, जिसके चलते लोगों को मजबूरन सामान्य सीढ़ियों का इस्तेमाल करना पड़ता है। जब इसके बारे में इससे संबंधित अधिकारियों से पूछा जाता है तो वो कहते हैं कि अचानक इनमें खराबी होने के चलते इन्हें बंद किया गया है या फिर इनका एमरजेंसी बटन दब गया था, जबकि हमेशा ऐसा नहीं होता है।
सुविधाविहीन माटुंगा रेलवे स्टेशन
मुंबई का माटुंगा रेलवे स्टेशन देश का ऐसा पहला रेलवे स्टेशन है, जिसे सिर्फ महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है। इस स्टेशन का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। इसके बावजूद माटुंगा स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर चर्चगेट की तरफ बने महिला प्रसाधन में ताला लगा है। इस ताले की चाबी स्टेशन मास्टर के पास है। अगर किसी महिला को प्रसाधन का इस्तेमाल करना हो तो उसे पहले स्टेशन मास्टर के पास जाकर उसकी चाबी लेनी होगी। इतना ही नहीं महिला प्रसाधन के बगल में ही दिव्यांग प्रसाधन बनाया गया है, जिसकी हालत देखने के बाद तो आप उल्टे पांव लौटना ही बेहतर समझेंगे। दिव्यांग प्रसाधन के अंदर ही नहीं, बल्कि इसके बाहर भी काफी गंदगी पैâली हुई है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इसमें दरवाजा तो लगा है, लेकिन वह भी दयनीय हालत में है।
सड़ रही प्लास्टिक बोतल क्रसिंग मशीन
प्रभादेवी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर प्लास्टिक बोतल क्रसिंग मशीन को इंस्टाल किया गया है, लेकिन वो काफी समय से बंद अवस्था में पड़ी है। अब तो इस मशीन पर केवल धूल-मिट्टी जम रही हैं। इस मशीन के बंद होने के कारण प्लेटफॉर्म पर और रेलवे ट्रैक पर पानी की खाली बोतल प़ड़ी दिखाई देती हैं।
शिशु आहार कक्ष पर लटका ताला
सेंट्रल रेलवे के ठाणे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर शिशु आहार कक्ष बनाया गया है, जिसमें महिला यात्री प्लेटफॉर्मों पर बच्चों को आसानी से स्तनपान करा सकती हैं, लेकिन उस पर ताला लगा है और एक कागज के टुकड़े पर यह लिखकर चिपकाया गया है कि इसकी चाबी स्टेशन मास्टर के पास है।
सुविधाओं के नाम असुविधाएं
यही हाल मुलुंड रेलवे स्टेशन पर भी देखने को मिलता है। यहां यात्रियों के लिए कई उपयोगी चीजों पर ताला लगाया गया है। मुलुंड रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर बनाए गए ममता कक्ष, दिव्यांग प्रसाधन और पिंक लेडी वॉशरूम यहां तक कि निर्भया कक्ष को भी बंद करके ताला लगाया गया है और इन सभी की चाबियां स्टेशन मास्टर के पास है। इतना ही नहीं, इन सभी चीजों के बंद होने से उनके अगल-बगल गंदगियां पैâल रही हैं। इन सभी जगहों पर अब यात्रियों को बैठे हुए देखा जाता है।
जल्द होगी कार्रवाई
सेंट्रल रेलवे स्टेशनों की इन असुुविधाओं को लेकर सेंट्रल रेलवे के एक संबंधित अधिकारी ने बताया कि इन सभी को खुला रखना ठीक नहीं है। इसके खुले रहने पर इसका दुरुपयोग भी हो सकता है इसलिए इन्हें बंद करके इनकी चाबियां स्टेशन मास्टर के पास हैं। जिस किसी भी यात्री को इनमें से किसी भी सुविधा का प्रयोग करना है तो वो स्टेशन मास्टर के पास जाकर उसकी चाबी लेकर सुविधा ले सकता है। अधिकारी ने आस-पास की गंदगी और पैâले कचरों के बारे में कहा कि वो जल्द ही इनकी साफ-सफाई करवाएंगे।
कराई जाएगी सफाई
वेस्टर्न रेलवे की एक महिला अधिकारी ने कहा कि इन सभी को एंटी सोशल एलिमेंट के लिए बंद रखा गया है। माटुंगा रेलवे स्टेशन के दिव्यांग प्रसाधन में पैâली गंदगी को लेकर उन्होंने कहा कि वो जल्द ही इसकी साफ-सफाई करवाएंगी।