ताले की चाबी स्टेशन मास्टर के पास है के लगाए गए पोस्टर
सामना संवाददाता / मुंबई
रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानियां न हों इस बात को ध्यान में रखते हुए रेलवे स्टेशन पर महिला-पुरुष प्रसाधन और ममता कक्ष जैसी कई जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। अगर यात्रियों को प्रदान की जाने वाली इन सुविधाओं के दरवाजे को बंद करके ताला लगा दिया जाए तो फिर यात्री इन सुविधाओं के लिए कहां जाएंगे। ऐसा ही कुछ मुलुंड के रेलवे स्टेशन पर हो रहा है। जहां ममता कक्ष से लेकर दिव्यांग प्रसाधन तक के दरवाजे को बंद करके ताला लगा दिया गया है।
मुलुंड रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर बने ममता कक्ष, दिव्यांग प्रसाधन, पिंक लेडी वॉशरूम और निर्भया कक्ष को बंद करके ताला लगाया गया है और आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी के दरवाजे पर एक पोस्टर चिपकाया गया है जिस पर लिखा है कि इनकी चाबियां स्टेशन मास्टर के पास हैं। अब सवाल यह है कि क्या किसी यात्री को इमरजेंसी में इनमें से किसी भी चीज की सुविधा लेनी होगी तो वह पहले स्टेशन मास्टर के पास जाएगा और उन्हें अपनी जरूरतें बताकर उसके हिसाब से चाबी लेनी होगी? गौर करने वाली बात तो यह है कि इन सभी सुविधाओं का रखरखाव भी नहीं हो रहा है। इन सभी पर धूल-मिट्टियां जमी हैं साथ ही पेड़ों से गिरे पत्ते भी इकट्ठा पड़े हैं। इतना ही नहीं इनके कोने-कोने में पान-गुटखा के पीक के दाग भी देखने को मिल रहे हैं। निर्भया कक्ष की सीढ़ियों पर तो यात्रियों ने बैठना भी शुरु कर दिया है।
अप्रिय घटनाओं के न होने के लिए लगाया गया ताला
एक अधिकारी ने इस बारे में बताया कि यह एक सही व्यवस्था है, इससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटनाएं नहीं घटेंगी और जिसे जिस सुविधा का लाभ लेना होगा वह जरुरत के हिसाब से स्टेशन मास्टर से उसकी चाभी ले सकता है। जब अधिकारी से कचरे और गंदगी के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि हम जल्द ही इस पर कार्रवाई करेंगे।
सुविधाओं का क्या फायदा
यात्रियों से जब स्टेशन पर मिलने वाली इन सुविधाओं के बारे में पूछा गया तो यात्रियों ने कहा कि सीधी सी बात है जब किसी को अचानक इनमें से किसी की जरुरत पड़ेगी तो वह पहले स्टेशन मास्टर के पास इसकी चाबी लेने जाए तो ऐसी सुविधाओं का क्या फायदा? यह गलत है।