मुख्यपृष्ठनए समाचाररेलवे कर रही मानव अधिकारों का उल्लंघन, ४२१ में से सिर्फ १...

रेलवे कर रही मानव अधिकारों का उल्लंघन, ४२१ में से सिर्फ १ इलेक्ट्रिक इंजन में है शौचालय

-रेल पायलटों की सुविधा पर उठे सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
पश्चिम रेलवे के मुंबई और वडोदरा मंडल से प्राप्त आरटीआई जवाब में खुलासा हुआ है कि ४२१ इलेक्ट्रिक इंजनों में से सिर्फ एक ही इंजन में ड्यूटी पर तैनात लोको पायलटों के लिए शौचालय की सुविधा है। इस मामले ने लोको पायलटों की कार्यस्थल पर सुविधा और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मुंबई सेंट्रल से प्रस्थान करने वाली प्रमुख ट्रेनें जैसे राजधानी एक्सप्रेस, अगस्त क्रांति, स्वराज और गोल्डन टेम्पल मेल मुंबई या वडोदरा मंडल के इंजनों द्वारा चलाई जाती हैं। इसके बावजूद इन ट्रेनों को खींचने वाले इंजनों में शौचालय की सुविधा नहीं होना लोको पायलटों के लिए बड़ी समस्या बन रहा है। लंबे मार्ग पर चलने वाले इन इंजनों के लोको पायलटों को प्राकृतिक आवश्यकताओं के लिए किसी भी सुविधा का अभाव झेलना पड़ता है, जिससे उनकी सेहत और काम की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
लोको पायलटों के संगठन कई बार यह मांग उठा चुके हैं कि इंजनों में शौचालय की सुविधा होनी चाहिए। उनके अनुसार, लंबी दूरी की यात्राओं में शौचालय की सुविधा नहीं होना अत्यधिक असुविधाजनक और अस्वस्थकर है। रेलवे प्रशासन द्वारा इस मुद्दे पर बार-बार अनदेखी करना लोको पायलटों की कार्य परिस्थितियों को लेकर चिंता पैदा करता है। रेलवे प्रशासन को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि लोको पायलटों को बेहतर और सुरक्षित कार्यस्थल मिल सके और वे बिना किसी असुविधा के अपनी जिम्मेदारियों का पालन कर सकें।

 

अन्य समाचार