सामना संवाददाता / मुंबई
रेलवे ने नवंबर २०२४ तक १,००० नए जनरल सेकंड क्लास कोच जोड़ने की घोषणा की है। रेलवे का दावा है कि इस पहल से हर दिन एक लाख अतिरिक्त यात्रियों को फायदा होगा, लेकिन यह घोषणा कई सवाल खड़े करती है। क्या यह कदम वास्तव में ट्रेनों में बढ़ते यात्रियों के दबाव और अन्य असुविधाओं को कम कर पाएगी, वहीं लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या का दबाव और साफ-सफाई भी लोगों के लिए एक अहम मुद्दा है, इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि रेलवे के ये वादे भी सिर्फ कोरे आश्वासन बनकर रह जाएंगे।
बढ़ती मांग और घटती सुविधाएं
रेलवे में आम यात्रियों के लिए सुविधाओं की भारी कमी है। भले ही १,००० नए कोच जोड़ने की बात कही जा रही है, लेकिन मौजूदा हालात में ट्रेनों में भीड़, समय पर ट्रेन न पहुंचने और साफ-सफाई की समस्याएं बनी हुई हैं। क्या नए कोच जोड़ने से भीड़भाड़ पर लगाम लग पाएगी? या यह भीड़ सिर्फ दूसरी ट्रेनों में शिफ्ट हो जाएगी?
गुणवत्ता पर भी सवाल
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि नए कोच एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) तकनीक के होंगे, जो अधिक सुरक्षित और आरामदायक हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या इन कोचों का रखरखाव और सफाई भी बेहतर होगी? पुराने कोचों में साफ-सफाई और रखरखाव की लचर स्थिति किसी से छिपी नहीं है। नए कोचों का फायदा तभी होगा, जब उनका सही से उपयोग और देखभाल हो। रेलवे का दावा है कि अगले दो सालों में १०,००० गैर-एसी कोच जोड़े जाएंगे, जिनमें से ६,००० जीएस कोच होंगे।