द्विजेंद्र तिवारी
मुंबई
एक सप्ताह में राज्य की जनता द्वारा सत्ता का भविष्य तय कर दिया जाएगा। तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। क्या लोकसभा का ट्रेंड विधानसभा चुनाव में भी जारी रहेगा? वर्तमान आंकड़े और राजनीतिक परिस्थितियां तो इसी तरफ इशारा कर रही हैं।
महाविकास आघाड़ी (एमवीए), जिसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस शामिल हैं, २० नवंबर २०२४ को होनेवाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए तैयार है। मई २०२४ के संसदीय चुनावों में आघाड़ी की सफलता राज्यभर में इसकी गति और लोकप्रियता का एक मजबूत संकेत है। मतदाता रुझानों, क्षेत्रीय प्रभावों और मतदाताओं को प्रभावित करनेवाले प्रमुख मुद्दों का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट है कि एमवीए इस बार भी भाजपा गठबंधन पर भारी है।
मई २०२४ के लोकसभा परिणामों ने एमवीए के लिए अनुकूल
पृष्ठभूमि तैयार की है। गठबंधन ने न केवल अपनी प्रमुख सीटें बरकरार रखीं, बल्कि महत्वपूर्ण शहरी और ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में नई सीटें भी हासिल कीं। एमवीए का प्रदर्शन हर वर्ग से भारी समर्थन का संकेत देता है। इसके विपरीत भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के नेताओं के चेहरों पर हवाइयां उड़ रही हैं। केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ आर्थिक और रोजगार के मुद्दों के साथ-साथ सामाजिक स्थिरता के बारे में जनता के बीच बढ़ता असंतोष अभी भी कम नहीं हुआ है। केंद्र सरकार के तमाम दावों के बावजूद देश में बेरोजगारी और महंगाई बड़ा मुद्दा बनकर उभरे हैं, जिसका कोई समाधान उनके पास नहीं है। भाजपा गठबंधन में जहां हवा-हवाई उम्मीदवारों की भरमार है, तो एमवीए गठबंधन ने मजबूत जमीनी स्तर के संपर्क वाले जाने-माने नेताओं को मैदान में उतारा है, जो अपने निर्वाचन क्षेत्रों के विशिष्ट मुद्दों पर मतदाताओं के बीच लगातार काम करते रहते हैं। यह रणनीति विरोधी भाजपा गठबंधन की अधिक ध्रुवीकरण अभियान रणनीति के मुकाबले कारगर साबित हो रही है।
विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे क्षेत्रों में, जहां कृषि संकट एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है, एमवीए किसान कल्याण और ऋण राहत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को उजागर करने में कामयाब रहा है और खुद को बेहतर विकल्प के रूप में पेश किया है। किसानों की दशा सुधारने में भाजपा गठबंधन नाकाम रहा है। स्थानीय मुद्दों के लिए महाराष्ट्र में यह एक महत्वपूर्ण विषय है, जहां स्थानीय पहचान और समस्याएं मतदाताओं की प्राथमिकताओं को प्रभावित करती हैं।
एमवीए के प्रचार अभियान के मुद्दे मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, बुनियादी ढांचे और शिक्षा पर केंद्रित हैं। आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग, बढ़ती महंगाई की मार महसूस कर रहे हैं और इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने में भाजपा की अक्षमता से असंतुष्ट हैं। एमवीए ने इसे ध्यान में रखते हुए रोजगार सृजन और युवा सशक्तीकरण पर केंद्रित एक आकर्षक विकल्प पेश किया है।
इसके अलावा, महाविकास आघाड़ी ने सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक स्थिरता के मुद्दों पर फोकस किया है, और खुद को महाराष्ट्र की सर्वधर्म समभाव पहचान के रक्षक के रूप में स्थापित किया है। समावेशिता पर आघाड़ी का रुख राज्य की विविध आबादी को आकर्षित करता है, जिसमें अल्पसंख्यक समूह भी शामिल हैं, जो भाजपा के अधिक रूढ़िवादी दृष्टिकोण से अलग-थलग महसूस करते हैं।
महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के प्रति असंतोष बढ़ रहा है। बिगड़ते बुनियादी ढांचे, औद्योगिक परियोजनाओं की धीमी प्रगति और महंगाई जैसे मुद्दों ने मतदाताओं में निराशा पैदा की है। मुंबई और पुणे जैसे शहरी क्षेत्रों में यह असंतोष स्पष्ट है, जहां निवासी बेहतर नागरिक सुविधाओं की उम्मीद रखते हैं।
इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की परेशानी और ग्रामीण विकास से संबंधित मुद्दों पर मतदाता बहुत नाराज हैं।
युवा मतदाता महाराष्ट्र के मतदाताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और नौकरी की सुरक्षा, सस्ती शिक्षा और कौशल विकास के अवसरों की भारी कमी है। युवाओं को सीधे प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके, एमवीए पहली बार मतदान करने वाले और युवा प्रोफेशनल्स के बीच एक महत्वपूर्ण समर्थन आधार बनाने में कामयाब रहा है।
युवा मतदाताओं से जुड़ने के लिए आघाड़ी ने डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का उपयोग किया है। इस रणनीति ने एमवीए को महाराष्ट्र के शहरी युवाओं तक व्यापक रूप से पहुंचने में सफलता दी।
महाराष्ट्र की बड़ी अल्पसंख्यक आबादी ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण चुनावी हिस्सा रही है, खासकर शहरी निर्वाचन क्षेत्रों में। सर्वधर्म समभाव और सामाजिक स्थिरता के लिए एमवीए की प्रतिबद्धता ने अल्पसंख्यक समुदायों का विश्वास हासिल किया है।
महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक माहौल और हाल के चुनावी रुझानों के आधार पर महाविकास आघाड़ी नवंबर २०२४ के विधानसभा चुनावों में जीत के लिए अच्छी स्थिति में है। संसदीय चुनावों में मुद्दे उठाने की सफलता, विभिन्न वर्गों के साथ बेहतर तालमेल, स्थानीय मुद्दों पर फोकस और सामाजिक स्थिरता के लिए प्रतिबद्धता ने आघाड़ी को सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दी है।
महाराष्ट्र के लोग बदलाव की तलाश में हैं और महाविकास आघाड़ी के पास भारत के सबसे प्रभावशाली राज्यों में से एक में बेहतर प्रशासन का एक नया युग लाने का अवसर एकदम नजदीक है।
(लेखक कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे हैं और वर्तमान में राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं।)