मुख्यपृष्ठस्तंभराज की बात : अबकी बार नहीं आ रही जुमलाबाज सरकार

राज की बात : अबकी बार नहीं आ रही जुमलाबाज सरकार

राजेश विक्रांत
मुंबई

जैसा कि हम २०१४ से ही देख सुन रहे हैं। मोदी और भाजपा की निरंतर जुमलेबाजी। एक से बढ़कर एक। १५ लाख, अच्छे दिन, स्मार्ट सिटी व गारंटी से लेकर ४०० पार तक। इस आम चुनाव में भी मोदी ने एक जुमला उछाल दिया है- अबकी बार ४०० पार। मजे की बात यह है कि किसी भी चुनावी सर्वेक्षण में भाजपा को ४०० पार नहीं दिखाया गया है। वैसे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर्वेक्षण में पता चला है कि भाजपा को २०० सीटें ही मिलेंगी, हालांकि संघ कोई सर्वेक्षण नहीं करता, लेकिन यह भी तय है कि संघ कोई काम खुल्लमखुल्ला भी नहीं करता। इसलिए इस बात की संभावना ज्यादा है कि संघ ने कोई सर्वेक्षण गोपनीय रूप से करवाया हो। दरअसल, संघ बहुत सारे काम गोपनीय तरीके से करने के लिए चर्चित है। इसलिए संभव है कि उसके आंतरिक सर्वे के बाद ही भाजपा ने ४०० पार का जुमला उछाल दिया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के पति जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. पराकला प्रभाकर के मुताबिक, ४०० पार सीटों का नारा जुमला है। ३७० सीटों का आंकड़ा पार करना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है! ४०० पार का नारा लोगों का ध्यान भटकाने के लिए दिया गया ताकि लोग ये डिबेट न कर सकें कि भाजपा चुनाव जीतेगी या नहीं। इस जुमले के बाद यह डिबेट हो रही है कि भाजपा ४०० पार कर रही है।
तो ये खेल है मोदी और भाजपा का। इसलिए इस बार देश की जनता कहे पुकार, नहीं आ रही जुमलाबाज सरकार। ध्यान रखें कि मोदी और भाजपा की जुमलेबाजी २०१४ से ही शुरू हो गई थी। दरअसल, इनको ये पता चल गया था कि हिंदुस्थान की जनता सपने में यकीन रखती है। खुशफहमी में जीती है। इसलिए जुमलों का दौर शुरू हो गया। २०१४ के आम चुनावों के समय भाजपा में एक जुमला विंग बनाई गई। जिसका काम था कि लोक-लुभावन जुमले तैयार करे। मोदी का काम इन जुमलों को जनता के बीच फेंकना था। चूंकि जुमला जुमला होता है। कोई इसे चुनावी वादा नहीं मानता। इसलिए एक के बाद एक जुमले आते गए। एक सर्वे के अनुसार २०१४ के आम चुनावों के पहले से लेकर अब तक मोदी ने कम से कम ५० जुमले फेंके हैं। इसीलिए २०१६ या १७ तक मोदी की छवि जुमलाबाज के साथ फेंकू प्रधानमंत्री की भी बन गई थी।
२०१४ के आम चुनाव के दौरान मोदी ने उत्तर प्रदेश की एक रैली में कहा था कि उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाने के लिए ५६ इंच का सीना चाहिए। उनके इस जुमले का इसके बाद क्या हश्र हुआ, इसे सभी जानते हैं। कई मौकों पर दिखा कि जो सीना ५६ इंच का प्रचारित किया जा रहा है, वास्तव में वह २० इंच से भी कम का है। २०१४ में ही चुनावी प्रचार में मोदी ने विदेश से कालाधन वापस लाने का वादा करते हुए जुमला उछाला था कि हर देशवासी के खाते में १५-१५ लाख रुपए भी आएंगे। तब से अब तक के १० सालों में १५ लाख रुपए तो नहीं हां, हरेक देशवासी के हिस्से में १५ लाख शर्मिन्दगियां जरूर आ गई हैं।
बात सही है कि हरेक राजनीतिक दल चुनावों के दौरान मतदाताओं को वादों, घोषणाओं का टॉनिक पिलाते हैं। बड़े-बड़े दावे करते हैं। मतदाताओं को लुभाते हैं, लेकिन मोदी सरकार इस मामले में पहले स्थान पर है। उसके पास जुमलों की पैâक्ट्री है। जैसे ही देश में कोई संकट पैदा होता है, मोदी सरकार वैसे ही कोई न कोई लोक-लुभावन जुमला उछाल देती है, ताकि जनता का ध्यान समस्याओं से भटक जाए। महंगाई व बेरोजगारी के बारे में जनता सोचे तक नहीं। इसीलिए २०१४ के बाद से अब तक जुमले उछाले जा रहे हैं। मोदी के इन जुमलों को लेकर विपक्ष के साथ देश की जनता भी प्रधानमंत्री से सवाल करती है। विपक्षी पार्टियां जुमलों की हवा निकाल देती हैं और सोशल मीडिया पर मजाक बनाया जाता है, लेकिन मोदी हैं कि जुमलेबाजी से बाज नहीं आते।
‘हरेक देशवासी के खाते में १५ लाख रुपए आएंगे’। ‘अच्छे दिन आ रहे हैं’। ‘५६ इंच का सीना है’। ‘मैं गर्व से गधे से प्रेरणा लेता हूं और देश के लिए गधे की तरह काम करता हूं। सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे मालिक हैं। गधा वफादार होता है, उसे जो काम दिया जाता है वह पूरा करता है’। ‘मैं यूपी का बेटा हूं। यूपी ने मुझे गोद लिया है और यूपी मेरा माईबाप है। मैं माईबाप को नहीं छो़ड़ूंगा। मैं भले ही गोद लिया गया बेटा हूं, लेकिन यूपी की चिंता है मुझे… यहां की स्थिति बदलना मेरा कर्तव्य है’।
‘मैं बनारस का बेटा हूं। मुझे गंगा मां ने बुलाया है’। देशभर में स्मार्ट सिटी बनकर रहेगी। आदर्श ग्राम योजना। मिशन स्वच्छ भारत। नमामि गंगे। उज्ज्वला। मेक इन इंडिया। जन धन योजना। स्टार्ट अप इंडिया। प्रधान सेवक। चौकीदार। वोकल से लोकल तक। स्टैंड अप इंडिया। ग्रामोदय। भारत उदय। एफडीआई का मतलब फर्स्ट डेवलप इंडिया। मोदी की गारंटी और अब ४०० के पार।
इस ४०० पार के जुमले की हकीकत जान लीजिए। इसे यूं समझ सकते हैं कि घर में नहीं है दाने और अम्मा चली भुनाने। मोदी को पता था कि इस लोकसभा चुनाव में पार्टी शायद ही २५० का आंकड़ा पार कर पाए। इसलिए चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से पहले मोदी और पूरी भाजपा ने नारे लगाने शुरू किए अबकी बार एनडीए की सीटें ४०० पार और भाजपा की सीटें ३७० के पार। पूरब से लेकर पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक भाजपा यही जुमला फेंक रही है। इसे हवा दे रहे हैं गोदी टीवी चैनलों के ओपिनियन पोल और तथाकथित सर्वेक्षण। मजे की बात यह है कि गोदी ओपिनियन पोल का भी अनुमान है कि भाजपा चुनाव तो जीत सकती है, लेकिन ४०० पार या ३७० पार के आंकड़े ज्यादातर ओपिनियन पोल में नहीं आ रहे हैं।
एक गोदी ओपिनियन पोल सर्वेक्षण के मुताबिक, भाजपा को ३४२ सीटें मिलने का अनुमान है। साथ ही यह भी अनुमान लगाया गया है कि भाजपा उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी जीत हासिल करेगी। पर ये ओपिनियन पोल हैं। इसकी सच्चाई पर यकीन नहीं किया जा सकता है। ऐसे में अर्थशास्त्री डॉ पराकला प्रभाकर का कथन सही लगता है कि ४०० पार का नारा सिर्फ एक जुमला है। ३७० सीटों का आंकड़ा पार करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। ४०० पार का नारा तो लोगों का ध्यान भटकाने के लिए दिया गया, ताकि लोग ये डिबेट न कर सकें कि भाजपा चुनाव जीतेगी या नहीं। इस जुमले के बाद चारों तरफ यही चर्चा हो रही है कि भाजपा ४०० पार कर रही है, जो कि नामुमकिन है।
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)

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