अरुण कुमार गुप्ता
खबर है कि अपने खयाली मुख्यमंत्री… अरे नहीं, उप मुख्यमंत्री शिंदे एक बार फिर नाराज होकर अपने गांव चले गए हैं। बताया जाता है कि वित्त विभाग उनकी पार्टी के मंत्रियों के विभागों की फाइलें रोक रहा है। इससे शिंदे नाराज हैं। शिंदे मुंबई से पत्नी के साथ निकले थे। शिंदे ऐसे वक्त पर अपने गांव पहुंचे हैं जब देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली महायुति में सब कुछ ठीक नहीं होने की बात कही जा रही है। एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे में उनसे अलग से मुलाकात की थी। उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सतारा जिले के दरें गांव के रहने वाले हैं। पिछले दो दौरे उनकी नाराजगी के बीच माने गए थे। एक दौरे में वे बीमार थे और उन्होंने गांव में स्वास्थ्य लाभ किया था। शिंदे ने अपने गांव में सेब, आम, चीकू, कटहल जैसी विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगाए हैं। अगले कुछ दिनों तक वे यहीं खेती करते हुए अपना दिन बिताएंगे। शिंदे के रूठने और बार-बार गांव जाने पर अब लोग यही कह रहे हैं कि उनके रूठने और गांव जाने का सिलसिला कब तक चलेगा। लोग इसे प्रेशर पॉलिटिक्स के रूप में भी देख रहे हैं। हालांकि उनका प्रेशर पॉलिटिक्स का यह दांव पहले तो सफल नहीं हुआ है। इस बार दांव सफल होगा, यह कहना मुश्किल है।
योगी के मंत्री के डर्टी बोल
राजनीति में एक-दूसरे पर टीका-टिप्पणी करना तो आम बात है, लेकिन उसकी भी एक मर्यादा होती है। हाल के कुछ वर्षों में राजनीतिक टीका-टिप्पणी का स्तर काफी गिरा है। राजनेता एक-दूसरे पर गंदी से गंदी भाषा का प्रयोग कर अपने आपको श्रेष्ठ साबित करने में जुटे हैं। इसी कड़ी में अब यूपी की योगी सरकार के मंत्री रघुराज सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। रघुराज सिंह ने ममता को ताड़का बताया और कहा कि बंगाल चुनाव में ताड़का का वध हो जाएगा। मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर यूपी में योगी सरकार के मंत्री रघुराज सिंह ने कहा कि रामायण में जैसे ताड़का का पाठ था, वैसे ही वहां पर ममता बनर्जी ताड़का का पाठ अदा कर रही हैं। दिल्ली में केजरीवाल रावण के रूप में थे, उसका वध हमने कर दिया है। आने वाले चुनाव में ताड़का का वध हो जाएगा। ममता बनर्जी मस्जिद जाएंगी, नमाज पढ़ेंगी, लेकिन मंदिर नहीं जाएंगी। यह सब सिर्फ वोट की खातिर। इसलिए ये रामराज्य की स्थापना हो रही है। बीजेपी अजेय रहेगी। मंत्री सिंह मुंबई के दौरे पर थे। बंगाल हिंसा पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा, बंगाल जल रहा है। वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। लातों के भूत बातों से नहीं मानेंगे। ऐसे में अब यह कहना उचित होगा कि देश को दिशा देने वाले ये माननीय मर्यादा में रहकर कब बातें करेंगे या इनसे मर्यादा की उम्मीद ही छोड़ दी जाए।
संजय निषाद की नई थ्योरी
निषाद पार्टी के मुखिया और योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद द्वारा राजनीति में परिवारवाद को लेकर दिए गए बयान की इन दिनों काफी चर्चा है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे विधायक, सांसद नहीं बनेंगे तो क्या रिक्शा चलाएंगे। अगर हम अपने घर वालों को नहीं बना पाएंगे तो दूसरों को क्या विधायक और मंत्री बना पाएंगे। हालांकि डॉ. संजय निषाद ने अपने परिवारवाद और सपा के परिवारवाद में अंतर बताया। उन्होंने कहा कि सपा का परिवारवाद केवल अपनी सुख व सत्ता के लिए है। जबकि उनका परिवारवाद राजनीतिक मिशन को आगे बढ़ाने के लिए है। जिसे उनके बेटे आगे बढ़ाएंगे और समाज को बिखरने नहीं देंगे। संजय निषाद ने कई प्रमुख पिछड़े वर्ग के नेताओं जैसे फूलन देवी और मनोहर लाल निषाद का जिक्र करते हुए कहा कि यदि इन नेताओं ने अपने पीछे परिवार को राजनीतिक रूप से तैयार किया होता तो मछुआरा समुदाय और मजबूत होता। संजय निषाद ने यह भी कहा कि जब तक फूलन देवी ने मछुआरा समाज से सपा को वोट दिलवाया, तब तक वह नेता रहीं, लेकिन जब उन्होंने अपनी पार्टी बनाकर राजनीति करने की कोशिश की तो उनकी हत्या कर दी गई। अब सवाल यह उठता है कि मंत्री जी के मन में चल क्या रहा है। वे परिवारवाद की कौन सी नई थ्योरी सामने ला रहे हैं लेकिन संजय निषाद अपने बयान से यह साबित कर रहे हैं कि जनता या समाज बाद में, पहले परिवार की मजबूती जरूरी है।