मुख्यपृष्ठस्तंभराज ‘तंत्र’ : श्रद्धा और सबूरी शिंदे की मजबूरी!

राज ‘तंत्र’ : श्रद्धा और सबूरी शिंदे की मजबूरी!

अरुण कुमार गुप्ता

कल राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया। घाती गुट के कुछ विधायकों ने मंत्री का सपना पाल रखा था, लेकिन उन्हें मंत्री पद नहीं मिला। इसके बाद घाती गुट के कुछ असंतुष्ट विधायकों ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री यानी वर्तमान उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंत्री पद नहीं मिलने पर पार्टी की कार्यप्रणाली की आलोचना करने वालों के बारे में अलग ढंग से सोचने का पैâसला किया है। कुछ असंतुष्ट विधायकों ने पार्टी की आलोचना की। इस पर उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि श्रद्धा, विश्वास और धैर्य रखें और किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। काम करने वालों का सम्मान होगा। ऐसे में घाती गुट के असंतुष्ट विधायकों को समझाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन पता चला है कि असंतुष्ट विधायक शिंदे की कार्य प्रणाली से नाराज हैं, जो मीडिया के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर करने की कोशिश कर रहे हैं। अब इन असंतुष्ट विधायकों को कौन समझाए कि शिंदे को भाजपा ने ऐसे रास्ते पर ला खड़ा किया है, जहां बीजेपी के साथ रहना श्रद्धा और सबूरी उनकी मजबूरी है।

अब क्या करेंगे दिग्गज!
राज्य की महायुति सरकार ने अपने पहले कैबिनेट विस्तार में कई दिग्गजों को बाहर का रास्ता दिखाकर नए चेहरों को मौका दिया है। अजीत पवार की एनसीपी ने पांच, बीजेपी ने चार और शिंदे गुट ने तीन कुल मिलाकर बारह मंत्रियों को नई कैबिनेट से बाहर कर दिया है। युवा नेतृत्व को मौका देने के लिए कुछ नेताओं को कदाचार के आरोपों के कारण कैबिनेट से बाहर किया गया है। बीजेपी ने चार लोगों सुधीर मुनगंटीवार, रवींद्र चव्हाण, विजयकुमार गावित और सुरेश खाड़े को आउट कर पवेलियन भेजा है। लोकसभा चुनाव में मुनगंटीवार की हार और विधानसभा चुनाव में जीत की उनकी कोशिशें भी मंत्रालय के खिलाफ गर्इं। लंबे समय से विजयकुमार के गांव में आदिवासी विभाग में गड़बड़ियों की अफवाहें उड़ रही थीं। इस बीच, उनकी बेटी हिना गावित ने लोकसभा में हार के बाद बगावत कर दी और विधानसभा चुनाव लड़ा। विद्रोह तब हुआ, जब पार्टी ने उन्हें कम उम्र में दो सांसद और एक गृहमंत्री का पद दिया, इसलिए विजय कुमार गावित को मंत्री पद से वंचित कर दिया गया। सुरेश खाड़े को मंत्री पद नहीं मिला। ऐसे में लोग पूछ रहे कि अब इन दिग्गजों का क्या होगा।

भुजबल का गया बल!
महायुति सरकार में अजीत पवार गुट व ओबीसी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को जगह नहीं दी गई है। इससे भुजबल समर्थकों को ही, नहीं उन्हें भी जोर का झटका धीरे से लगा है। ऐसे में छगन भुजबल का नाराज होना स्वाभाविक है। भुजबल इस बात से नाराज हैं कि पार्टी के वरिष्ठों और महायुति नेताओं ने उन्हें मंत्री पद से वंचित कर दिया। भुजबल ने मीडिया के सामने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए एक सांकेतिक बयान दिया है। इस बीच उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि मुझे  कैबिनेट से क्यों हटाया गया, लेकिन सात-आठ दिन पहले मेरी वरिष्ठों से बातचीत हुई थी। उस समय उन्होंने मुझसे कहा था कि यदि आप राज्यसभा जाना चाहते हैं तो हम आपको राज्यसभा भेजेंगे। मैंने उनसे कहा कि जब मैं राज्यसभा जाना चाहता था तो आपने मुझे मौका नहीं दिया। उस समय आपने मुझसे विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा, लेकिन यहां एक बात सच है कि भुजबल को मंत्री नहीं बनाकर उन्हें उनकी पार्टी ने बलहीन कर दिया है।

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