मुख्यपृष्ठस्तंभराज ‘तंत्र’ :  भागते भूत की लंगोटी भली!

राज ‘तंत्र’ :  भागते भूत की लंगोटी भली!

अरुण कुमार गुप्ता

वैâबिनेट में विस्तार में यदि यह कहा जाए कि भाजपा में एकनाथ शिंदे को सिर्फ झुनझुना थमाया है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। भाजपा ने एक तरह से शिंदे को पूरी तरह से जमीन पर पटक दिया है। शिंदे गुट के नेता शंभुराज देसाई के पास जो विभाग था, अब एनसीपी (अजीत पवार) के पास चला गया है। चर्चा है कि शंभुराज देसाई महत्वपूर्ण विभाग नहीं मिलने से परेशान हैं। इस बीच, जब मीडिया प्रतिनिधियों ने सीधे इस विभाग के पूर्व मंत्री और वर्तमान पर्यटन और खनन मंत्री शंभुराज देसाई की प्रतिक्रिया पूछी तो देसाई ने कहा, यह विभाग (पर्यटन) भी उसी स्तर का है। हमारे शिंदे गुट की बात करें तो हमारे कोटे से उत्पाद शुल्क मंत्री पद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को मिला है, लेकिन, दूसरी तरफ हमें ‘हाउसिंग’ जैसा अच्छा विभाग मिला है। यह विभाग मुंबई सहित शहरी क्षेत्रों में लोगों की समस्या, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आवास समस्याओं को हल करने के लिए है। शंभुराज देसाई ने कहा कि मुझे अब पर्यटन, खनन और सैनिक कल्याण विभाग मिला है। यह विभाग भी उसी आकार का है। पर्यटन में महाराष्ट्र में एक बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की क्षमता है। अभी हम कोल्हापुर में हैं। पर्यटन के संदर्भ में कोल्हापुर डिविजन, कोंकण डिवजिन, हमारे सातारा में महाबलेश्वर, कास पठार, कोयनानगर और अन्य क्षेत्र होंगे, जिन्हें हम विकसित करना चाहते हैं। ऐसे में अब यही कहा जा सकता है कि भागते भूत की लंगोटी भली। जो मिला उसी से संतोष करो।
अब छगन भुजबल बेचारे क्या करें?
भाजपा अपनों के साथ खेला करने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। इसी कड़ी में उसने अजीत पवार के जरिए छगन भुजबल के साथ खेला कर दिया है। ऐसे में अब छगन भुजबल बेचारे क्या करें। गली-गली घूमकर दादा पर भड़ास निकाल रहे हैं। भड़ास इसलिए निकाल रहे हैं क्योंकि उन्हें मंत्री पद से दूर रखा गया है, लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम या जानकारी हो भी सकती है कि विभाग बंटवारे में पूरी तरह भाजपा की चली है। दादा बेचारे तो बस मोहरा मात्र हैं। बता दें कि मंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह के बाद सबकी नजर इस बात पर थी कि मंत्रियों का विभाग कब बंटेगा। सत्र की समाप्ति के बाद शनिवार की रात विभाग वितरण सूची की घोषणा की गई। इसमें कृषि विभाग अजीत पवार की पार्टी एनसीपी के खाते में गया है। कहा जाता है कि अजीत दादा ने नासिक जिले के माणिकराव कोकाटे को कृषि विभाग की जिम्मेदारी दी और उन्हें ताकत दी। अब मंत्री पद नहीं मिलने से छगन भुजबल लगातार अजीत पवार पर निशाना साध रहे हैं। छगन ने सत्र के दौरान भी कामकाज में सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं लिया। शीतसत्र के पहले दिन छगन भुजबल नागपुर से नासिक पहुंचे। वहां भुजबल समर्थकों का जमावड़ा लगा हुआ था। छगन भुजबल ने खुलकर नाराजगी जताई । नासिक जिले से सबसे ज्यादा ७ विधायक अजीत पवार गुट के चुने गए हैं, इसलिए दादा को यहां २ वैâबिनेट मंत्री पद दिए गए हैं। इसमें माणिकराव कोकाटे और नरहरि जिरवाल का चयन किया गया। छगन भुजबल जैसे नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर करते हुए माणिकराव कोकाटे को कृषि मंत्री और जिरवाल को खाद्य और औषधि विभाग का मंत्री पद दिया गया। छगन भुजबल और माणिकराव कोकाटे के बीच अंदरूनी मतभेद बताया जाता है। उन्होंने वैâबिनेट में भुजबल की जगह ली है। ऐसे में अब यही कहा जा रहा है कि अजीत पवार तो बस मोहरा मात्र हैं। वास्तव में सारा गेम भाजपा का है।
महाजन, विखे-पाटील, मुंडे के कतरे गए पर!
भाजपा ने सिर्फ अपने साथियों का ही नहीं बल्कि मंत्रिमंडल बंटवारे में ‘संकटमोचक’ की छवि वाले गिरीश महाजन, राधाकृष्ण विखे-पाटील, धनंजय मुंडे, दादा भुसे जैसों के भी पर कतर दिए हैं। बीजेपी और एनसीपी ने महत्वपूर्ण विभाग नए चेहरों को सौंपकर नए नेतृत्व को आगे लाने की दिशा में कदम उठाया है। गिरीश महाजन को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का खास विश्वासपात्र माना जाता है। किसी भी राजनीतिक समस्या या दरार को सुलझाने के लिए महाजन दौड़ पड़ते हैं। जब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद की जिद पर बैठे थे तो महाजन ही उनके आवास पर गए थे और उनसे बातचीत की थी। उन्होंने निवर्तमान मंत्रिमंडल में ग्रामीण विकास, पंचायत राज और पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले। इससे पहले फडणवीस सरकार में उनके पास जल संसाधन विभाग था। नई सरकार में महाजन को जल संसाधन विदर्भ, तापी और कोकण निगम और आपदा प्रबंधन सौंपा गया है। पहले के विभागों की तुलना में महाजन के भी पंख कतर दिए गए हैं। हालांकि एक जल संसाधन विभाग है, लेकिन यह विभाग पूरी तरह से उनके स्वामित्व में नहीं है। आपदा प्रबंधन को भी बहुत महत्वपूर्ण विभाग नहीं माना जाता है। पहले की तुलना में महाजन को कम महत्वपूर्ण विभाग सौंपकर उनका महत्व कम कर दिया गया है। संभवत: भाजपा को साथियों को दबाने की आदत पड़ी है, उसी आदत के तहत अपने ‘संकटमोचक’ को भी दबाया है।

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