मुख्यपृष्ठस्तंभराजधानी लाइव : पहली लिस्ट और कइयों का राजनीतिक अंत?

राजधानी लाइव : पहली लिस्ट और कइयों का राजनीतिक अंत?

डॉ. रमेश ठाकुर नई दिल्ली

भाजपा ने अपनी पहली लिस्ट में कई वरिष्ठों-दावेदारों का नाम बीच में लटकाकर खुलेआम दुश्मनी मोल ले ली है। कई नेता लिस्ट देखकर तमतमा गए हैं, विरोध पर उतरने को उतावले हैं। लिस्ट के मुख्य रचयिता मोदी-शाह को उम्मीद थी कि लिस्ट जारी होने से पार्टी में खुशी होगी, लेकिन हुआ उल्टा! खुशी से ज्यादा नाराजगी पैâल गई। शनिवार शाम करीब छह बजे भाजपा मुख्यालय में उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई, जिसमें मौजूदा कई सांसदों के टिकट काटे गए। हालांकि, इस बात की भनक टिकट कटने वाले नेताओं को कुछ समय पहले हो चुकी थी। तभी, पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से सांसद व पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर और हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा ने अपनी इमेज बचाने के लिए लिस्ट जारी होने से पूर्व ही चुनाव नहीं लड़ने का एलान कर दिया। जबकि देखा जाए तो गौतम गंभीर इलाके में जनसेवक के रूप में प्रचलित थे। उन्होंने गरीबों के लिए मात्र एक रुपए में ‘सांसद की रसोई’ योजना चलाई हुई थी, जहां लोग एक रुपया देकर भरपेट खाना खाते थे। उनके सूत्रों ने उन्हें खबर दी कि भाजपा उन्हें आउट करने वाली है, तो उन्होंने पहले ही मैदान छोड़ दिया। शाम होते-होते वरिष्ठ नेता डॉ. हर्षवर्धन का भी भाजपा से मोहभंग हो गया। उन्होंने भी राजनीति से तौबा करने का एलान कर दिया। दिल्ली के विकास और भारतीय राजनीति में उनके योगदान को शायद ही कोई भुला पाए।
भाजपा की पहली लिस्ट से कई नेताओं की राजनीति का अंत हुआ, इसमें कोई संदेह नहीं? सही मायने में देखें तो सांसद गौतम को खुशी से नहीं, बल्कि दुखी होकर राजनीति से दूरी बनाने का निर्णय लेना पड़ा। कुछ ऐसा ही निर्णय झारखंड के हजारीबाग से निर्वाचित सांसद जयंत सिन्हा ने लिया। उन्होंने भी चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। दरअसल, जयंत भाजपा के बागी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के पुत्र हैं। जयंत को भाजपा ने उनके पिता के कारण किनारे लगाया, क्योंकि उनके पिता प्रधानमंत्री के बड़े आलोचक माने जाते हैं। सभी जानते हैं प्रधानमंत्री की आलोचना करने वाले नेता भाजपा में नहीं रह सकते। जो जी-हुजूरी करेगा, हां में हां मिलाएगा, वही रह सकता है। कुल मिलाकर भाजपा की पहली लिस्ट जारी होने के बाद पार्टी के अंदरखाने भयंकर बगावत पैâल गई है। हालांकि, इस स्थिति को मैनेज करने में भाजपा की पूरी मशीनरी लगी हुई है। इसको लेकर रविवार को पार्टी मुख्यालय में पूरे दिन गहमागहमी रही। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली और नागपुर के नेताओं के मध्य लगातार वार्ताएं होती रहीं। सोमवार को आरएसएस और भाजपा नेताओं में एक बड़ी बैठक भी होनी है। क्योंकि जिन नेताओं का टिकट कटा है, वे सभी नागपुर से संपर्क कर रहे हैं। दबाव ज्यादा बढ़ा तो हो सकता है जारी लिस्ट में कुछ बदलाव भी कर दिया जाए, लेकिन इसकी संभावनाएं ज्यादा दिखती नहीं। बदलाव का मतलब है सीधे प्रधानमंत्री के काम में अड़ंगा अड़ाना।
दिल्ली को भी भाजपा की पहली लिस्ट ने अचंभित किया है। फायर ब्रिगेड नेता कहे जाने वाले प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूडी, डॉ. हर्षवर्धन और सिंगर हंसराज हंस भी निपटा दिए गए। प्रवेश वर्मा और रमेश बिधूडी तो ऐसे नेता हैं, जिन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भिड़ने का मोर्चा संभाल रखा है। दोनों बड़े सनातनी प्रचारक माने जाते हैं। इसके बावजूद उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया। इनके भी बगावती स्वर जल्द फूटने वाले हैं। कहीं, ऐसा न हो कि दूसरी पार्टी का दामन थाम लें। क्योंकि ऐसे क्षणों में राजनीतिक दुश्मन तुरंत मित्र बन जाते हैं। इनमें से कांग्रेस या आम आदमी पार्टी में जा सकते हैं। प्रवेश वर्मा युवा नेता हैं, उनके पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे हैं। उनका बड़ा जनाधार दिल्ली में है फिर भी किनारे कर दिए गए। भोजपुरी नेताओं में मनोज तिवारी, दिनेश यादव और रवि किशन पर फिर भरोसा जताया। इस कड़ी में चौथा नाम पवन सिंह का भी जुड़ गया। उन्हें पश्चिम बंगाल के आसनसोल से उम्मीदवार बनाया गया, जहां से फिल्म कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा टीएमसी से मौजूदा सांसद हैं। लेकिन कुछ ही घंटों बाद पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उनके चाहने वाले कहते हैं कि पवन सिंह किसी अन्य जगह से लड़ना चाहते थे। बिहार या यूपी की किसी सीट से।
सूत्र बताते हैं कि टिकट वितरण में सिर्फ मोदी-शाह की जोड़ी की ही मनमानी चली है। उन्होंने किसी की भी नहीं सुनी। यहां तक कि आरएसएस की ओर से सुझाए गए नामों पर भी वैâची चलाई गई। मेनका गांधी, वरुण गांधी, बृजभूषण शरण सिंह, संतोष गंगवार जैसे नेताओं के नाम घोषित नहीं करने के बाद कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं। वहीं केंद्र सरकार का सबसे विवादित नाम अजय मिश्र को दोबारा से लखीमपुर खीरी से टिकट देकर प्रधानमंत्री ने खुलेआम किसान नेताओं को और भड़का दिया है। अजय मिश्र के टिकट का विरोध भी शुरू हो गया है, वहीं राजस्थान की चूरू लोकसभा से राहुल कांस्वा का टिकट काटा गया है। उनके जगह पैरालंपिक एथलीट देवेंद्र झाझड़िया को उम्मीदवार बनाया है। ाfटकट कटने से राहुल कांस्वा भी बगावत पर उतरने वाले हैं। हालांकि, टिकट कटने से नाराज बागियों के विरोधी स्वर को देखते हुए भाजपा सतर्क हो गई है।
(लेखक राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान, भारत सरकार के सदस्य, राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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