रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू
कहते हैं कि दो की लड़ाई में हमेशा तीसरे को लाभ होता है। ऐसा ही एक वाकया राजस्थान में दौसा लोकसभा सीट पर देखने को मिला। यहां भाजपा के दो दिग्गज नेताओं की लड़ाई में तीसरे भाजपा नेता को लाभ मिल गया। राजस्थान के कृषि मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा दौसा सीट पर अपने छोटे भाई जगमोहन मीणा को भाजपा से टिकट दिलवाने का पूरा प्रयास कर रहे थे। वहीं दौसा से मौजूदा सांसद जसकोर मीणा अपनी बेटी अर्चना मीणा को टिकट दिलवाना चाहती थीं। ऐसे में भाजपा आलाकमान ने दोनों ही दिग्गज नेताओं के स्थान पर तीसरे नेता कन्हैयालाल मीणा को टिकट देकर मैदान में उतार दिया। कन्हैयालाल मीणा चार बार विधायक व वसुंधरा राजे सरकार में खेल मंत्री भी रह चुके हैं। वहीं किरोड़ी लाल मीणा अभी राजस्थान के कृषि मंत्री हैं तथा पूर्व में कई बार राजस्थान सरकार में मंत्री, लोकसभा व राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं। जसकौर मीणा भी अटल बिहारी वाजपेई सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री व सवाई माधोपुर से सांसद रह चुकी हैं
डैमेज कंट्रोल में जुटे मुख्यमंत्री
राजस्थान में भाजपा तीसरी बार सभी २५ सीट जीतकर हैट्रिक लगाने का प्रयास कर रही है। वहीं पार्टी नेताओं में आपसी गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। पार्टी ने इस बार १५ सीटों पर नए प्रत्याशियों को मौका दिया है। जिन सांसदों का टिकट काटा गया है वह पार्टी के प्रत्याशियों को पूरा सहयोग नहीं दे रहे हैं। टिकट के दावेदार रहे नेता भी बेमन से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पता है कि पार्टी के कई बड़े नेता उन्हें लोकसभा चुनाव में फेल करना चाहते हैं इसीलिए मुख्यमंत्री खुद डैमेज कंट्रोल करने में जुट गए हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी खुद चित्तौड़गढ़ के चुनाव में फंसे होने के कारण वह चुनाव प्रचार के लिए समय नहीं दे पा रहे हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अकेले ही जिलों का दौरा कर पार्टी के नेताओं से फेस-टू-फेस बात कर उन्हें पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में काम करने के लिए राजी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री का प्रयास है कि सभी २५ सीटों पर जीत का परचम लहराना चाहिए।
प्रचार में पायलट आगे
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने २२ सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। तीन सीट सीकर, नागौर व बांसवाड़ा गठबंधन के साथी दलों के लिए छोड़ दी है। हालांकि, बांसवाड़ा में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी अरविंद डामोर ने अंतिम समय में नाम वापस नहीं लेकर पार्टी के सामने धर्म संकट पैदा कर दिया है। एक तरफ पार्टी ने भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी अरविंद डामोर भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पुत्र वैभव गहलोत के प्रचार में जालौर-सिरोही सीट पर ही फंसे हुए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह अलवर सीट पर फंसे हुए हैं। ऐसे में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो सभी जगह चुनाव प्रचार करने के लिए जा रहे हैं। प्रदेश में चुनाव प्रचार करने के लिए सबसे अधिक मांग भी सचिन पायलट की हो रही है। पायलट राजस्थान के साथ छत्तीसगढ़ में भी चुनाव प्रचार कर रहें हैं।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)