सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मुंबई में २६ / ११ को हुए आतंकी हमले ़के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा ने भारत में प्रत्यर्पण से बचने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। बता दें कि इसी साल १५ अगस्त को अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत तहव्वुर को भारत भेजे जाने का पैâसला सुनाया था, जिसके बाद राणा ने इस पैâसले के खिलाफ अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई बिजनेसमैन राणा ने पिछले साल फेडरल कोर्ट नाइंथ सर्किट में एक याचिका दायर की थी। उसने गुहार लगाई थी कि सुनवाई तक उसे भारत को न सौंपा जाए, जिसे खारिज कर दिया गया था। गौरतलब है कि मई २०२३ में भी एक अमेरिकी अदालत ने राणा की तरफ से दायर याचिका को खारिज किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, अगर सुप्रीम कोर्ट भी तहव्वुर की अपील को खारिज कर देता है तो वह आगे और अपील नहीं कर पाएगा। इसके बाद तहव्वुर को भारत लाने का रास्ता आसान हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार, तहव्वुर पर मुंबई हमले की फंडिंग का आरोप है। पिछले साल भी कोर्ट ने प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका खारिज की थी। भारत को सौंपे जाने से बचने के लिए तहव्वुर राणा ने अमेरिका के कोर्ट में हेबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका) दायर की थी। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का इस्तेमाल उस समय किया जाता है जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से कस्टडी में रखा जाए। इसके बाद लॉस एंजिलिस के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने अपने पैâसले में कहा था कि जिन आरोपों को आधार बनाकर भारत ने तहव्वुर के प्रत्यर्पण की मांग की है, उन्हें देखते हुए उसके प्रत्यर्पण की इजाजत दी जा सकती है। अपने खिलाफ फैसला आने के बाद राणा ने नाइंथ सर्किट कोर्ट में एक और याचिका दायर की थी। इस पर अगस्त को पैâसला आया। इसमें बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करने को सही ठहराया गया। पैनल ने माना कि राणा का अपराध अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के अंतर्गत आता है। पैनल ने माना कि भारत ने हमले को लेकर राणा पर लगाए गए आरोपों के पुख्ता सबूत दिए हैं। अब इस पैâसले के खिलाफ राणा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।