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उम्मीद की किरण: ब्रेन में ब्लीडिंग पर ब्रेक लगा महिला को मिली नई जिंदगी!

धीरेंद्र उपाध्याय

‘जाको राखे साइंया, मार सके ना कोय’ कहावत मुंबई के मनपा अस्पताल में चरितार्थ हुई है। मुंबई में रहनेवाली एक ५९ साल की महिला काफी समय से उल्टी और सिरदर्द से परेशान थी, जो समय बीतने के साथ ही और भी गंभीर होता जा रहा था। उसने आस-पास के कई चिकित्सकों को दिखाया और चिकित्सकों ने कई दवाएं शुरू कीं। दवा जब तक चलती, तब तक उसे थोड़ी राहत महसूस होती थी। हालांकि, बीमारी से हमेशा के लिए उसे निजात मिलता हुआ नहीं दिखाई दे रहा था। ऐसे में वह बीते दिनों मुंबई मनपा के वूâपर अस्पताल में इलाज कराने के लिए पहुंची। बता दें कि अस्पताल में मरीजों को अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। इसी के तहत यहां तंत्रिका तंत्र विकारों के इलाज के लिए अलग से विभाग शुरू किया गया है। इस विभाग की मेडिकल टीम ने जब महिला की मेडिकल जांच की तो पता चला कि वो नसों में एक दुर्लभ प्रकार के ब्रेन डिसऑर्डर से पीड़ित थी।

चिकित्सकों के मुताबिक, अस्पताल में ५९ साल की एक महिला को सिरदर्द और उल्टी की शिकायत के साथ भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों का कहना था कि समय पर अस्पताल में भर्ती नहीं हुई होती तो उसकी जान भी जा सकती थी। फिलहाल, रोग का सटीक पता लगाने के लिए ब्रेन की एक विस्तृत टोमोग्राफी यानी सीटी स्वैâन किया गया। उसमें पता चला कि मरीज के ब्रेन में ब्लड आर्टरी में बना गुब्बारा फटने से रक्तस्राव हो रहा था। ऐसे में सघन नरम ऊतकों के वातावरण में रक्त वाहिकाओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी नामक फ्लोरोस्कोपी तकनीक को अपनाया गया।

इसमें यह पाया गया कि रक्तस्राव मरीज महिला के ब्रेन में ब्लड आर्टरी के फटने के कारण हुआ था। एन्यूरिज्म एक धमनी का विकार है, जिसमें धमनी की परत या दीवार कमजोर हो जाती है। इससे धमनी फट सकती है और तेजी से खून बह सकता है। बीमारी का पता लगने के बाद अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्टों की टीम ने रोगी का ऑपरेशन करने का पैâसला किया। यह सर्जरी `ट्रेंजा एंबोलिजेशन’ नामक आधुनिक तकनीक का उपयोग करके की गई, जिसमें उन्हें सफलता अर्जित हुई। इस सर्जरी के बाद महिला को नई जिंदगी मिली है। अस्पताल के डीन डॉ. शैलेश मोहिते के मुताबिक, इस प्रकार की सर्जरी के बाद मरीज के खून में थक्का बनने से रोकने के लिए एस्पिरिन या उसके जैसी दवाएं देने की जरूरत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अन्य प्रकार की सर्जरी के लिए रोगियों को एस्पिरिन या इसी तरह की दवाएं देने की आवश्यकता होती है। इससे दोबारा रक्तस्राव हो सकता है। इस मामले में दुर्लभ और अत्याधुनिक सर्जरी ने इस महिला की जान बचा ली है।

डॉ. शैलेश मोहिते के मार्गदर्शन में तंत्रिका तंत्र के रोगों का इलाज करनेवाले विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रद्युम्न ओक, डॉ. मनीष सालुंखे, डॉ. अबू ताहिर ने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इसके साथ ही एनेस्थेटिस्ट विभाग प्रमुख डॉ. अनिता शेट्टी, फार्माकोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. नीलम रेडकर, सहायक प्रोपेâसर डॉ. दीप रावल ने मदद की। डॉ. मोहिते ने कहा कि पहले ऐसी सर्जरी केईएम अस्पताल में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट द्वारा की जाती थी। उसके बाद वूâपर अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्टों की एक टीम ने इस दुर्लभ सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि मनपा अस्पताल में आधुनिक और जटिल सर्जरी बहुत ही उचित दरों पर की जाती है।

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