मुख्यपृष्ठग्लैमर`रि-रिलीज फिल्में कर रही हैं कमाल का बिजनेस!'-निखिल आडवाणी

`रि-रिलीज फिल्में कर रही हैं कमाल का बिजनेस!’-निखिल आडवाणी

नामी एक्टर और निर्देशक जब सुर्खियों में होते हैं, तो वे उनके किसी एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में होते हैं। इस वक्त मशहूर निर्देशक निखिल आडवाणी काफी चर्चाओं में हैं। सोनी लिव पर ` प्रâीडम एट मिडनाइट’ वेब सीरीज रिलीज होने से दुनिया भर से उनको सरहाना मिली। दूसरी इनके द्वारा निर्देशित सुपर हिट फिल्म `कल हो न हो’ रि-रिलीज हुई है, जो मूलत: २००३ में पहली बार रिलीज हुई थी। पेश हैं, निखिल आडवाणी से पूजा सामंत की बातचीत के प्रमुख अंश-

 ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ की कहानी से लोग पहले ही वाकिफ थे, फिर इसे बनाने का ख्याल क्यों और कैसे आया?
इतिहास का वास्तविक सच सभी नहीं जानते हैं। कई बार आधे- अधूरे सच को लोग इतिहास मानते हैं। जैसे भारत का विभाजन हुआ तो कई लोगों की धारणा बन गयी थी कि महात्मा गांधी की वजह से देश का विभाजन हुआ। साथ ही पंडित नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने विभाजन के पेपर पर दस्तखत किए। इतनी महत्वपूर्ण जानकारी नयी पीढ़ी तक ले आना मुझे मेरा दायित्व लगा, जिसे मैंने `प्रâीडम एट मिडनाइट’ के जरिए बताना चाहा।

 क्या वजह है कि मेकर्स अपनी पुरानी सफल फिल्मों को रि-रिलीज कर रहे हैं?
-आज भी दर्शक अपनी व्यस्तता को छोड़-छाड़कर अपनी किसी दौर की पसंदीदा फिल्म को देखना पसंद करते हैं। जब इस सच्चाई का एहसास हुआ तो फिर पुरानी लेकिन सफल फिल्मों को थिएटरों में रि-रिलीज करने का चलन शुरू हुआ, जिसे बेहद पसंद किया जाने लगा है।

 क्या निर्माता, निर्देशकों में यह आत्मविश्वास नहीं होता कि वह पुरानी फिल्मों जैसी नई फिल्मों का निर्माण करें और नए दर्शक भी जुड़ सकते हैं?
नॉस्टैल्जिक फीलिंग यह जज्बा ही बहुत अलग है, जिसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता। जिस फिल्म ने रिलीज के बाद सफलता का परचम लहराया हो, उस फिल्म को दोबारा देखना एक अनुभूति है। रि-रिलीज की हर फिल्म ने फिर कमाल का बिजनेस किया।

 कैसा रहा आपका अब तक का सफर?
मुझे मेरी हर सफल और असफल फिल्मों ने बहुत कुछ सिखाया है। इसलिए मैं अपनी हर फिल्म से काफी खुश हूं। मेरी फिल्म असफल हुई, फिर भी मैं निराश नहीं हुआ।

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