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ठाणे जिले में असली-नकली रिक्शा चालक विवाद…हजारों की संख्या में चल रहे हैं नकली रिक्शे…उल्हासनगर में सबसे ज्यादा हैं नकली रिक्शे

अनिल मिश्रा / अंबरनाथ

वैसे तो ईडी सरकार में मुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे के ठाणे जिले में असली-नकली रिक्शा चालकों की लडाई इन दिनों सड़क पर आ गई है। नकली रिक्शा चालकों पर कार्रवाई न करने पर रिक्शा बेमुद्दत बंद कर यातायात पुलिस कार्यालय के सामने धरना देने की चेतावनी भरा पत्र जोशी (काका) रिक्शा चालक मालक संघटना के अध्यक्ष ने ईडी 02 सरकार को दी है।
बता दें कि ठाणे जिले के काफी जगहों पर असली-नकली रिक्शा चालकों में जंग शुरू है। असली रिक्शा चालकों का यातायात पुलिस पर आरोप है कि उनकी अनदेखी के कारण बिना लाइसेंस, बैच, जो रिक्शा स्क्रैप (काटकर) फेंकने लायक हो गए हैं, ऐसे रिक्शे बेरोकटोक चल रहे हैं। ऐसे नकली रिक्शा चालक दादागिरी कर लाइन में रिक्शा खड़ा न करके सीधे यात्री को बैठा लेते हैं। नकली रिक्शा चालकों की इस हरकत के कारण जिनके पास पासिंग रिक्शा, लाइसेंस, बैच सब कुछ है। ऐसे असली रिक्शा चालकों को दो-दो घंटे धूप, बरसात, गर्मी में लाइन में खडे रहना पड़ रहा है।
ऐसे नकली रिक्शा चालकों पर कानूनी कार्रवाई की जाय, ऐसी मांग जोशी (काका ) रामदास पाटील रिक्शा चालक मालक संघटना के अंबरनाथ अध्यक्ष मिलिंद रामदास पाटील ने की है। पाटील ने बताया कि अंबरनाथ शहर में दस हजार रिक्शे हैं। उनमें से दो हजार रिक्शा चालक ऐसे हैं, जो लाइन की बजाय सीधे ही सड़क के किनारे खड़े होकर यात्री को बैठा लेते हैं। ऐसे नकली रिक्शा चालकों को किसका संरक्षण प्राप्त है? ऐसे लोगों को रोका जाए, अन्यथा उग्र रिक्शा बंद आंदोलन किया जाएगा। मिलिंद पाटील ने बताया कि ऐसे रिक्शा चालकों के खिलाफ किसी समय रिक्शा चालक रहे पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी पत्र दिया गया था। अपेक्षा थी कि कार्रवाई होगी, परंतु यातायात पुलिस द्वारा केवल दिखावटी कार्रवाई की गई। आज भी स्थिति में कोई सुधार नहीं होता दिखाई दे रहा है। स्टेशन स्टैंड पर चौबीस घंटे यातायात पुलिस की मांग की गई है। पुलिस वाले आते हैं तो केवल हाजिरी देकर गायब हो जाते हैं।
उल्हासनगर मे नकली नशेड़ी गेैंग रिक्शा चालक समूह
उल्हासनगर में भी ऐसी ही हालत है। उल्हासनगर में करीबन 25 हजार रिक्शे हैं, जिसमें पांच हजार नशेड़ी गेंग के लोग चलाते हैं। जिसे रोकने पर आए दिन मारपीट भी होती रहती है। नशेड़ी गैंग में जो रिक्शा चालक हैं, वे अधिकतर चार यात्रियों को लेकर चलते हैं। बता दें कि नशेड़ी गेैंग पुलिस के दंड, डंडे से भी नहीं डरते हैं। काफी नशेड़ी रिक्शा चालकों पर दस से पच्चीस हजार रुपए तक ऑन लाइन तक दंड है, परंतु वे दंड की परवाह नहीं करते हैं। उल्हासनगर, शहाड में यह गैंग काफी सक्रिय हैं, जो पुलिस से भी मारपीट करने में पीछे नहीं रहते हैं।
उल्हासनगर उप विभागीय यातायात पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरिक्षक अविनाश भ. भामरे ने बताया कि वे हजारों रिक्शा, बाइक को जप्त कर सकते हैं, परंतु उन्हें जप्त कर वाहन को रखा कहां पर जाय? यह बड़ी समस्या है। जप्त किए गए वाहन को रखने के लिए सुरछित, सुरक्षा रक्षक के साथ जगह की मांग आयुक्त को पत्र देकर किया गया है। जिसे मनपा द्वारा मुहैय्या नहीं किया जा सका है। वाहन को जप्त करने पर कुछ नुकसान होने पर उसका जवाबदारी कौन लेगा? वाहन के नुकसान होने पर यातायात पुलिस को न्यायालय की फटकार के साथ ही नुकसान की भरपाई करनी पडी है, ये जोखिम कौन लेगा?

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