सामना संवाददाता / मुंबई
देश में आई मंदी, महंगाई से आम आदमी तो परेशान है ही, इसका सबसे बुरा असर हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर भी पड़ा है। सरकारी उदासीनता के कारण मुंबई, ठाणे सहित पूरे एमएमआर जोन के ३१४ हाउसिंग प्रोजेक्ट तबाह यानी दिवालिया हो चुके हैं। यह मामला अब एनसीएलटी के पास पहुंच गया है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राज्य में ३१४ महारेरा पंजीकृत आवासीय परियोजनाओं के खिलाफ दिवालिया होने की कार्रवाई चल रही है। बताया जाता है कि महंगाई और मंदी से यह सेक्टर बुरी तरह बेजार है। एक तरफ जहां घरों की लागत बढ़ गई है, वहीं दूसरी तरफ आम आदमी के पास घर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है इसलिए घर नहीं बिक पा रहे हैं।
घर खरीदने से पहले सावधान
महारेरा लिस्ट की कर लें जांच!
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण ने ३१४ परियोजनाओं के खिलाफ दिवालिया होने की कार्रवाई शुरू की है। इनमें से सबसे ज्यादा २३६ परियोजनाएं मुंबई महानगर क्षेत्र में हैं।
मुंबई-ठाणे में घर खरीदने वाले लोग सावधान हो जाएं। क्या पता आप जो घर खरीदने जा रहे हैं, वह एनसीएलटी में पहुंच गया हो। असल में इन क्षेत्रों के ३१४ हाउसिंग प्रोजेक्ट दिवालिया हो चुके हैं। विभिन्न बैंकों, वित्तीय संस्थानों आदि का लोन न चुका पाने के कारण इन्हें बनानेवाली कई कंपनियां दिवालिया हो गई हैं। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने ३१४ परियोजनाओं के खिलाफ दिवालिया होने की कार्रवाई शुरू की है। इनमें से सबसे ज्यादा २३६ परियोजनाएं मुंबई महानगर क्षेत्र में हैं। महारेरा ने इन सभी प्रोजेक्ट की सूची अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की है। ये प्रोजेक्ट कभी भी दिवालिया हो सकते हैं इसलिए महारेरा की ओर से अपील की गई है कि जिन लोगों ने इन प्रोजेक्ट्स में घर खरीदा या खरीद रहे हैं, वे इस लिस्ट को जांचकर सही पैâसला लें।
अब घर खरीदनेवाले ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए महारेरा की ओर से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय न्यायिक न्यायाधिकरण, महारेरा पंजीकृत परियोजनाओं के खिलाफ लंबित दिवालियापन कार्रवाई की जांच करता है। इसके मुताबिक, महारेरा ने इससे पहले भी दिवालिया होने के कगार पर मौजूद परियोजनाओं की सूची प्रकाशित की थी। अब फिर से महारेरा के निरीक्षण से पता चला है कि राज्य में ३१४ हाउसिंग प्रोजेक्ट दिवालिया होने की कगार पर हैं। वित्तीय संस्थानों, बैंकों, अन्य वित्तपोषण संस्थानों ने इन परियोजनाओं के खिलाफ राष्ट्रीय कानून न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया है। इन परियोजनाओं के खिलाफ दिवाला और दिवालियापन की कार्र्रवाई चल रही है। किसी भी समय इन परियोजनाओं को दिवालिया घोषित किया जा सकता है। ऐसे में इन प्रोजेक्ट्स में घर खरीदने वाले ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इनमें से ५६ परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और औसतन ३४ प्रतिशत से अधिक फ्लैटों का पंजीकरण हो चुका है। जबकि १९४ परियोजनाएं व्यापक परियोजनाएं हैं और इनमें से औसतन ६१ प्रतिशत से अधिक घरों का पंजीकरण हो चुका है। शेष ६४ परियोजनाएं पूरी तरह से पूरी हो चुकी हैं और इनमें से ८४ प्रतिशत फ्लैटों की रजिस्ट्री हो चुकी है इसलिए बड़े पैमाने पर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी की आशंका है। इसी को ध्यान में रखते हुए महारेरा ने इन प्रोजेक्ट्स की सूची अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की है। नए ग्राहकों को अब घर खरीदने के लिए इस लिस्ट को देखना होगा। अन्यथा उनके साथ धोखा होने की संभावना है। दिवालिया होने की कार्रवाई के तहत मुंबई उपनगरों में ८८ में से ५१, पुणे में ५२ में से ४५, ठाणे में १०६ में से ५२, पालघर में १८ में से १६ पंजीकृत किए गए हैं। इसके अलावा मुंबई शहर में नौ व्यापक परियोजनाओं में से दो में ६८ प्रतिशत, नासिक में तीन व्यापक परियोजनाओं में ३४ प्रतिशत, रायगड में १५ में से १३ परियोजनाओं में ३२ प्रतिशत फ्लैटों का पंजीकरण हुआ है।