मुख्यपृष्ठनए समाचार"भगवती अस्पताल का पुनर्विकास या ‘प्राइवेट बिक्री’?"

“भगवती अस्पताल का पुनर्विकास या ‘प्राइवेट बिक्री’?”

राजन पारकर / मुंबई

क्या मुंबई महानगरपालिका ने ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा’ शब्दकोश से हटाने का फैसला कर लिया है? उत्तर मुंबई के लाखों नागरिकों को मुफ्त या रियायती दरों पर चिकित्सा सुविधा मिले, इसके लिए बनाया गया भगवती अस्पताल अब ‘प्राइवेट लिमिटेड’ बनने की तैयारी में है।
1968 में 50 बिस्तरों के साथ शुरू हुए इस अस्पताल को बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को देखते हुए 365 बिस्तरों का महानगरपालिका अस्पताल बनाया गया। 2005 की बारिश आपदा, मुंबई बम धमाकों और रेलवे दुर्घटनाओं के दौरान भगवती अस्पताल ने हजारों की जान बचाने का काम किया। इसी वजह से 2003 से 2009 के बीच स्थानीय जनप्रतिनिधियों और बीएमसी ने इसे 1,000 बिस्तरों वाले सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में बदलने का फैसला किया। 2010 में इसका भूमिपूजन भी हुआ, लेकिन 15 साल बाद भी काम अधूरा है!
अब महानगरपालिका की योजना के अनुसार, 22,200 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 3.15 FSI का उपयोग कर 9 मंजिला नई इमारत बनाई जाएगी। लेकिन इस नए अस्पताल में सिर्फ 490 बिस्तर होंगे, जिसमें से सिर्फ 147 बिस्तर ही बीएमसी मरीजों के लिए आरक्षित होंगे। यानी बाकी के बिस्तर निजी हाथों में!
‘जनता का पैसा, प्राइवेट अस्पताल का धंधा!’
मुंबई महानगरपालिका अधिनियम 1888 के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा देना बीएमसी का कर्तव्य है, लेकिन अब वही बीएमसी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण करने जा रही है। इस प्रोजेक्ट के लिए 55 करोड़ की परिसंपत्ति या 300 बिस्तरों वाले अस्पताल को 5 साल तक संचालित करने का अनुभव रखने वाली कंपनियां ही टेंडर भर सकती हैं। इसका सीधा मतलब है कि बड़ी प्राइवेट हॉस्पिटल चेन के लिए ‘गोल्डन चांस’!
“मरीजों से ज्यादा मुनाफे की चिंता!”
नई व्यवस्था के अनुसार, केवल बीएमसी कर्मचारियों और कुछ चुने हुए नागरिकों को रियायती दरों पर इलाज मिलेगा। आम जनता को प्राइवेट अस्पतालों की दरों पर ही भुगतान करना होगा।
फ्री हेल्थकेयर जैसी कोई सुविधा नहीं होगी!
“उत्तर मुंबई से सबसे ज्यादा टैक्स, लेकिन सुविधाएं नहीं!” उत्तर मुंबई के नागरिक बीएमसी और सरकार को सबसे ज्यादा कर देते हैं, लेकिन उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं न देकर, सार्वजनिक अस्पतालों को प्राइवेट हाथों में सौंपने की यह योजना क्या ‘मरीजों की बिक्री’ है?”
“टेंडर रद्द करो, स्वास्थ्य सेवा बचाओ!”
आज बीएमसी में हुई प्री-बिड बैठक में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया। पूर्व विधायक, नगरसेवकों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों की तीव्र आपत्ति के कारण यह बैठक रद्द करनी पड़ी। इससे यह साफ हो गया कि अगर मुंबईकर एकजुट होते हैं, तो बीएमसी को झुकना पड़ता है। अब देखना यह है कि भगवती का ‘दान’ जनता को मिलेगा या बिल्डरों और हॉस्पिटल माफिया को?

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