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‘ईवीएम हटाओ, संविधान बचाओ और देश बचाओ’ …बैलेट पेपर से वोट देना चाहते हैं लोग …जयंत पाटील ने महायुति सरकार काे घेरा

सामना संवाददाता / मुंबई
मारकडवाड़ी के ग्रामीणों ने ईवीएम पर संदेह व्यक्त किया और मतपत्र से मतदान करने का निर्णय लिया। इसमें मॉक पोल का आयोजन किया गया, लेकिन सरकार ने मॉक पोल रोक दिया और ग्रामीणों पर केस दर्ज कर लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इसके खिलाफ महाविकास आघाड़ी ने आक्रामक रुख अपना लिया है। इसमें आज सोलापुर जिले के मालशिरस तालुका के मारकडवाड़ी गांव में ‘ईवीएम हटाओ, संविधान बचाओ और देश बचाओ’ आंदोलन में बोलते हुए एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने महागठबंधन सरकार की आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि सोलापुर का मारकडवाड़ी गांव पूरे देश में ईवीएम विरोध का केंद्रबिंदु होगा। आज शरद पवार की उपस्थिति में मारकडवाड़ी के ग्रामीणों ने अपना संकल्प मजबूत किया। चैत्यभूमि में डॉ. विधायक उत्तमराव जानकर ने मारकडवाड़ी की मिट्टी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के चरणों में अर्पित कर इस आंदोलन की शुरुआत की। जयंत पाटील ने कहा, ‘यह पहली बार है कि चुनाव आयोग ने चुनाव के बाद अपने आंकड़ों को तीन या चार बार सही किया है और हम सभी ने देखा कि मतपेटी में कुछ लाख वोट जोड़े गए थे। महाविकास आघाड़ी को महाराष्ट्र से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, लेकिन नतीजे अप्रत्याशित थे।’ पाटील ने कहा, ‘डाक वोट आमतौर पर उस निर्वाचन क्षेत्र का रुझान दिखाते हैं। २०१९ में पोस्टल पोल में आगे रहने वाली पार्टियों से ज्यादा उम्मीदवार चुने गए, लेकिन २०२४ में पोस्टल वोटिंग का चलन उनके लिए मुश्किल साबित हुआ। आपकी तीन पार्टियों के लिए जमीन। यह एक विरोधाभास है इसलिए लोगों को संदेह है। प्यारी बहनों को योजना का पैसा भले ही मिल गया हो, लेकिन पैसे के कारण महाराष्ट्र नहीं बिकेगा। यह छत्रपति शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र है। मारकडवाड़ी के ग्रामीणों ने बहुत साहस दिखाया है। उन्होंने एक आंदोलन खड़ा कर दिया है इसलिए अब अन्य गांव भी इस प्रयोग को आजमाने के लिए प्रेरित हुए हैं।’

जयंत पाटील ने आगे कहा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में भी कुछ गांव हैं, जहां सभी पार्टियों ने मिलकर मेरे लिए काम किया, फिर भी वोट भारी गिरावट आई। ऐसा महाराष्ट्र में कई जगहों पर देखने को मिला। ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ है, यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा संविधान के माध्यम से लोगों को दिया गया अधिकार है। उसके जरिए लोगों ने इस गांव में बैलट पेपर पर वोट देने की इच्छा जताई, लेकिन सरकार इससे क्यों डरती है? लोगों की मांग है कि अब से स्थानीय निकायों के चुनाव केवल मतपत्र पर ही होने चाहिए।

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