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नई संभावनाओं का द्वार है शोध – डा.अमित

– राणाप्रताप कालेज में शोध प्रविधि कार्यशाला

सुल्तानपुर। शोध से मानव ज्ञान को एक दिशा मिलती है जो ज्ञान भंडार को विकसित और परिमार्जित करता है। नवीन संभावनाओं का द्वार खोलना ही शोध का मुख्य उद्देश्य है। शोध ज्ञान प्राप्ति के साथ ही पहले से स्थापित परम्परागत ज्ञान को परखने का अवसर प्रदान करता है। यह बातें राणाप्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ.अमित तिवारी ने कहीं।
वह संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय शोध प्रविधि कार्यशाला को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. यशमन्त सिंह ने बताया कि, मानव हमेशा से जिज्ञासु रहा है। उसकी यह प्रवृत्ति उसे नवीन सत्य के उद्घाटन को प्रेरित करती है। इसे ही शोध कहते हैं। डॉ.नीतू सिंह ने शोध के विभिन्न आयामों,क्षेत्रों पर विस्तार से चर्चा की । डॉ. वीणा सिंह ने बताया कि शोध के विषय, शीर्षक के चुनाव ,शोध सामग्री संकलन,उद्धरण और शोध संदर्भ के बिना हम कोई शोध पूरा नहीं कर सकते।

शोध कार्यशाला में परास्नातक व शोध विद्यार्थी उपस्थित रहे। सूरज, शिवानन्द,नवनीत सत्यम,अवनीश,अंजलि, अमिता वर्मा,मीनाक्षी, श्रद्धा, शुभांगी सिंह,काजोल, रिंकू,साक्षी,ज्योति, साधना, रंजना ,गरिमा,प्रवीण,सचिन व आस्था मिश्रा द्वारा शोध के सम्बन्ध में पूछे गए प्रश्नों का विषय विशेषज्ञों द्वारा निराकरण किया गया।

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